नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की अवधि स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जांच कराने के लिए सात दिन तक बढ़ाने का अनुरोध करने वाली याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से बुधवार को इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने याचिका स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि चूंकि केजरीवाल को नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट दी गयी है तो यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ने मंगलवार को मुख्यमंत्री की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लिया और कहा कि अंतरिम याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) फैसला ले सकते हैं क्योंकि मुख्य मामले में फैसला सुरक्षित है। केजरीवाल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उनका वजन अचानक कम हो गया है और उनका कीटोन स्तर ‘‘बहुत अधिक’’ है, जो गुर्दा (किडनी), हृदय की गंभीर बीमारी और यहां तक कि कैंसर का संभावित संकेतक है।
उन्होंने इसके मद्देनजर ‘‘पैट-सीटी स्कैन’’ सहित कुछ चिकित्सीय जांच कराने के लिए अपनी अंतरिम जमानत की अवधि सात दिन बढ़ाने का अनुरोध किया है। केजरीवाल ने 26 मई को दायर अपनी याचिका में कहा है कि वह जेल लौटने के लिए न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई तिथि दो जून के बजाय नौ जून को आत्मसमर्पण करना चाहते हैं।
शीर्ष अदालत ने 10 मई को, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल को प्रचार करने के लिए एक जून तक यानी 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। न्यायालय ने निर्देश दिया था कि केजरीवाल दो जून को आत्मसमर्पण करेंगे। इसके एक दिन पहले एक जून को, लोकसभा चुनाव के सातवें एवं अंतिम चरण का मतदान होना है। केजरीवाल के खिलाफ मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब रद्द की जा चुकी है।