लखनऊ I बुधवार को सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन ने सेल्स टैक्स, वाणिज्य कर, व्यापार कर एवं माल एवं सेवा कर अधिनियम के अन्तर्गत विवादित आदेशों के विरूद्ध दाखिल अपीलों के निस्तारण हेतु न्यायिक प्रक्रिया में प्रशासनिक / विभागीय हस्तक्षेप एवं दबाव बनाने के विरूद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पत्र लिख कर आयकर भवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया । इस दौरान बड़ी संख्या में सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद रहे ।
जी.एस.टी. व्यवस्था के अनुसार, व्यापारी एक पक्षकार है तथा राज्य सरकार की प्रतिनिधि विभागीय अधिकारी दूसरा पक्ष है। वर्तमान में, विभागीय अधिकारियों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया जा रहा है, जिसका एसोसियेशन घोर विरोध करता है और निन्दा करता है।यह विशेष रूप से चिन्ताजनक है कि विभाग एवं एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (अपील) के समक्ष एक पक्षकार है। इस स्थिति में, प्रशासनिक नियंत्रण के नाम पर किया जा रहा कोई भी दबाव न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता में सीधा हस्तक्षेप है। यह न केवल अनचित है। इस दौरान व्यापारियों को राहत देने पर नाराजगी व्यक्त की गई है। परिणामस्वरूप, न्यायिक कार्य लम्बित रहे और व्यापारियों को न्याय प्राप्ति में कठिनाई हुई।
नयी चिन्ता यह है कि प्रमुख सचिव ने दिनांक 27-08-2024 को एक वर्चुअल भीटिंग आयोजित्त की है, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा है कि मूल्यांकन वर्ष 2017-18 की लम्बित अपीलों का निपटारा दिनांक 31-08-2024 से पहले अविलम्ब किया जाए। यह निर्देश न केवल अत्यन्त कठोर है, बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध भी है। इस प्रकार का दबाव अपीलीय अधिकारियों को एकपक्षीय (एक्स-पार्टी) आदेश पारित करने के लिए मजबूर कर सकता है, जो व्यापारियों के हितारें और न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को गम्भीर रूप से प्रभावित करेगा।
इसके अतिरिक्त प्रमुख सचिव ने सभी अपीलीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दैनिक आधार पर उन्हें ऑनलाइन निपटान रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह निर्देश न्यायिक स्वायत्तता पर सीधा आक्रमण है और अपीलीय अधिकारियों पर अनुचित दबाव डालता है। इससे भी अधिक गम्भीर बात यह 26-08-2024 को प्रमुख सचिव ने लखनऊ कार्यालय में अपीलीय फाइलों के निरीक्षण की मांग की। यह कार्यवाही न्यायिक प्रक्रिया की गोपनीयता और स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
यह स्पष्ट है कि ये सभी कार्यवाहियां अपीलीय प्राधिकारियों को धमकाने और उन्हें राजस्व के पक्ष में निर्णय लेने के लिए मजबूर करने का एक स्पष्ट प्रयास है। यह न्यायिक प्रणाली की मूल भावना के विपरीत है। जैसा कि कहा जाता है “डरे हुए न्यायाधीश से न्याए मिलना सम्भव नहीं है।
यह ध्यान देने योग्य है कि कराधान व्यवस्था में एक प्रभावी न्यायिक प्रणाली प्रदाना करना “व्यापार करने में सुगमता” (ease of doing business) के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यापारियों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि सरकार की छवि को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। एक निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली निवेशकों का विश्वास बढ़ाती है और राज्य के आर्थिक विकास में योगदान देती है।