नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से सवाल किया कि उसने ग्रैप-चार (चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना) के तहत प्रदूषण रोधी उपायों को लागू करने में देरी क्यों की, जबकि राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि जब एक्यूआई 300-400 के बीच था, तो यह योजना क्यों नहीं लागू की गई। न्यायालय ने कहा कि अगर कोई राहत दी जानी है, तो इसके लिए पहले अदालत से अनुमति लेनी होगी।
दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि सोमवार से ग्रैप के चौथे चरण के तहत भारी वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन न्यायालय ने इसे पर्याप्त नहीं माना। पीठ ने कहा, “जैसे ही एक्यूआई 300 से 400 के बीच पहुंचता है, चौथे चरण को लागू करना पड़ता है। आप इसे लागू करने में देरी कैसे कर सकते हैं? आप प्रदूषण के स्तर को बढ़ने का जोखिम क्यों उठा रहे हैं?”
इस पर दिल्ली सरकार को यह भी कहा गया कि यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से नीचे जाता है, तो भी चौथे चरण के तहत उठाए गए कदमों में ढील नहीं दी जाएगी, जब तक कि अदालत से इसकी अनुमति न मिल जाए।
दिल्ली में रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में 441 तक पहुंच गया, जो शाम सात बजे तक बढ़कर 457 हो गया था। इसके मद्देनजर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध और सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक लगाने सहित कई सख्त उपायों की घोषणा की थी। इन आदेशों में केवल आवश्यक वस्तुएं लाने वाले ट्रकों और सीएनजी या बीएस-6 डीजल से चलने वाले वाहनों को प्रवेश की अनुमति दी गई।
न्यायालय ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई का आदेश दिया और कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए जल्द ही एक अन्य बैठक आयोजित की जाएगी।