प्रकृति से हमारा तात्पर्य जल, जंगल और जमीन से है।जल, जंगल और जमीन के बिना प्रकृति संरक्षण की बात अधूरी है। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हुए हैं, जहाँ यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में हों। पृथ्वी पर रहने वाले तमाम जीव जंतुओं, पेड़-पौधों और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने तथा दुनिया भर में प्रकृति के प्रति जागरुकता बढ़ाने और बचाने के लिए हर साल हम यह दिवस मनाते हैं। इस दिन प्रकृति की रक्षा, उसके संरक्षण और विलुप्ति की कगार पर पहुंच रहे जीव-जंतु तथा वनस्पति की रक्षा का संकल्प लिया जाता है। प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सबंधित है। इनमें मुख्यतः पानी, धूप, वातावरण, खनिज, भूमि, वनस्पति और जानवर शामिल हैं। प्रकृति हमारी धरोहर है, और इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम इसे बचाने के लिए कार्य करते हैं, तो यह न केवल हमारे जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और समृद्ध वातावरण भी तैयार करेगा।
प्राकृतिक संसाधनों का महत्व
प्रकृति हमें जल, जंगल, भूमि, सूर्य की रोशनी, हवा, खनिज और वनस्पति जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ प्रदान करती है। इनका उपयोग विभिन्न निर्माणों और दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए किया जाता है, जिससे मानव जीवन में सुविधा और आराम आता है। लेकिन जब इन संसाधनों का अत्यधिक शोषण होता है, तो यह हमारे भविष्य के लिए खतरा बन जाता है
ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय संकट
प्रकृति का सबसे बड़ा खतरा वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आ रहा है। ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता में वृद्धि हो रही है। अगर इस संकट को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो हमारे लिए शुद्ध जल, स्वच्छ हवा, उपजाऊ भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्राप्त करना असंभव हो सकता है।
प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग
आज के समय में बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण हरे-भरे जंगलों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इससे न केवल जैविक विविधता को नुकसान हो रहा है, बल्कि वातावरण का संतुलन भी बिगड़ रहा है। इसके साथ ही खनिज संसाधनों का अत्यधिक उपयोग और वन्य जीवों का शिकार भी प्रकृति के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है
प्रकृति का संरक्षण हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए जरूरी है। यह केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि मानव जीवन का भी एक अभिन्न हिस्सा है। अगर हम प्रकृति के साथ समझौता करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें शुद्ध पर्यावरण, जल, और प्राकृतिक संसाधन नहीं मिलेंगे। हमें यह समझना होगा कि पृथ्वी का संरक्षण ही मानवता का संरक्षण है।
संकल्प और कृत्य
प्रकृति के संरक्षण के लिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम जल, जंगल और जमीन के महत्व को समझेंगे और इनकी रक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। वृक्षारोपण, जल का संरक्षण और पर्यावरणीय जागरूकता जैसे कदमों के जरिए हम प्रकृति को बचा सकते हैं। हमें न केवल जागरूक होना चाहिए, बल्कि प्रकृति के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए स्वच्छता, वृक्षारोपण और संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए।
फ़ूडमैन विशाल सिंह की कलम से