लखनऊ। दसवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर शुक्रवार को राजभवन प्रांगण में आयोजित सामूहिक योगाभ्यास में शामिल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि योग हमारे पूर्वजों और विरासत के प्रति सच्ची श्रद्धा है। उन्होंने कहा, “योग मानवता के अनुकूल है, जो देश, समाज, काल परिस्थितियों से बाधित होकर भी संपूर्ण मानवता के कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करता है।
इस कार्य के साथ यदि हम जुड़ते हैं और संपूर्ण मानवता को जोड़ते हैं तो यह पूर्वजों और विरासत के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा कहलाती है।” योगी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हम सभी के लिए भारत की इसी परंपरा के प्रति, इसी श्रद्धा को व्यक्त करने का एक माध्यम है।” कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुई और फिर राजभवन गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को तुलसी का पौधा देकर उनका अभिनंदन किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि योग दिवस के अवसर पर हम अपनी विरासत का स्मरण करते हुए भारत की ऋषि परंपरा के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह अवसर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदान किया है, जिनके दृष्टिकोण और प्रयासों का परिणाम है कि आज दुनिया के लगभग पौने दो सौ देश अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ‘‘भारत की इस विरासत के साथ खुद को जोड़कर हमारी संस्कृति और परंपरा को गौरवान्वित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भारत की ऋषि परंपरा को देखें तो उन लोगों के पास कितनी दूरदर्शिता थी, किस तरह उन्होंने समाज को जोड़ा। धर्म को योग के साथ जोड़ने का एक अभिनव प्रयास इस रूप में हुआ।” उन्होंने कहा, “जब हम धर्म की बात करते हैं तो धर्म के दो हित सामने दिखते हैं। एक है इस लोक में विकास, खुशी और खुशहाली के लिए कार्य करना और दूसरा है जन्म के बाद मोक्ष की प्राप्ति। सभी कार्य तभी पूर्ण हो सकते हैं जब आपका शरीर, काया स्वस्थ हो।” मुख्यमंत्री ने लोगों से योग को नियमित अभ्यास का हिस्सा बनाने की अपील की।