अनेक सद्गुणों के कारण मनुष्य जीवन की महत्ता मानी गई है। उनमें से एक महत्वपूर्ण गुण है-सेवा। एक-दूसरे के प्रति सद्भाव, एक दूसरे के व्यक्तित्व का आदर, समस्याओं को सुलझाने में सहयोग और समर्पण-ये सब सेवा के रूप हैं। ये अहिंसा और दया के ही विभिन्न पथ हैं। भगवान महावीर स्वामी का यह कथन महत्वपूर्ण है कि मेरी उपासना से भी अधिक महान है-किसी वृद्ध, रुग्ण और असहाय की सेवा करना। सेवा से व्यक्ति साधना के उच्चतम पद को भी प्राप्त कर सकता है।
वहीं, आज के आधुनिक युग में, जब चमक-दमक और स्वार्थपरता के बीच समाज अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को भूलता जा रहा है, ऐसे में उपेंद्र सिंह और उनका परिवार सेवा के मार्ग पर एक प्रेरणा स्रोत बनकर उभरा है। उपेंद्र सिंह, जिन्हें लोग प्रेम से “उपेंद्र दादा” कहते हैं, अपने परिवार के साथ नर सेवा नारायण सेवा के विचार को आत्मसात कर समाज कल्याण के प्रति समर्पित हैं।
उपेंद्र सिंह का पूरा परिवार सेवा और संस्कारों से पोषित है
उपेंद्र सिंह ने न केवल स्वयं को, बल्कि अपने पूरे परिवार को सेवा और संस्कारों से पोषित किया है। उनके बच्चे और पुत्रवधू भी उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए समाज सेवा में आनंद की अनुभूति करते हैं। उपेंद्र दादा का यह मानना है कि रोजगार और परिवार चलाना जीवन का एक पक्ष हो सकता है, लेकिन समाज के प्रति दायित्व निभाना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। इसी विचार को साकार करते हुए उनका परिवार 24 घंटे समाज सेवा के लिए तत्पर रहता है।
उपेंद्र सिंह का सेवा में सक्रिय योगदान
उपेंद्र सिंह के नेतृत्व में विजय श्री फाउंडेशन कैंसर पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए एक मजबूत सहारा बन चुका है। अस्पतालों में जरूरतमंद मरीजों को भोजन और आश्रय प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है। भूखे, प्यासे और बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरों की स्थापना से उन्होंने कई लोगों की रातों को सुरक्षित और सुकून भरा बनाया है।गरीब बच्चों की शिक्षा के प्रति उनका समर्पण भी सराहनीय है। उपेंद्र दादा अपने मित्रों और सहयोगियों को जोड़कर उन बच्चों के भविष्य को रोशन करने का प्रयास करते हैं, जिनके पास पढ़ाई का साधन नहीं है। उनका यह मानना है कि शिक्षा से स्वावलंबन और स्वाभिमान का बीज अंकुरित होता है, जो समाज को आगे बढ़ाने में सहायक होता है।
आनंद की अनुभूति और प्रेरणा
उपेंद्र सिंह का जीवन इस बात का प्रतीक है कि सच्चा आनंद केवल सेवा के माध्यम से ही प्राप्त होता है। उनका हर कार्य समाज को यह संदेश देता है कि “नर सेवा ही नारायण सेवा है।” उनका परिवार, जो इस सेवा कार्य में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है, आज प्रेरणा का स्रोत बन गया है। सेवा संस्कारों से ओतप्रोत यह परिवार अपने कार्यों से यह सिद्ध कर रहा है कि यदि हर व्यक्ति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझे, तो समाज की तस्वीर बदल सकती है।
मानवता के पथप्रदर्शक हैं उपेंद्र सिंह
उपेंद्र दादा का जीवन यह सिखाता है कि मानव कल्याण ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। वे सादगी और सेवा का अद्भुत संगम हैं। उनकी निष्ठा, त्याग, और परमार्थ समाज को दिशा देने वाले मूल्य हैं। उनके जैसे व्यक्तित्व न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा हैं। उपेंद्र सिंह और उनका परिवार यह साबित करता है कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं और मानवता से बड़ी कोई पूजा नहीं।