- मध्यांचल प्रबंधन की जांच में हुआ खुलासा
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में लगभग 25000 करोड की लागत वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर जिसको लगाने का काम बिजली कंपनियों में बिना आईटी सिस्टम इंटीग्रेशन क्लीयरेंस के लगना शुरू कर दिया गया है । 5 दिन पहले उपभोक्ता परिषद ने जब यह मुद्दा उठाया तो बिजली कंपनियों के हाथ पांव फूल गए और फिर पावर कॉरपोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने आईटी सिस्टम इंटीग्रेशन करने के लिए तत्काल मेसर्स इनटैली स्मार्ट व पोलरिस कंपनी जो मध्यांचल में मीटर लगाएगी के डेमो के आधार पर सर्वर से जोडकर उसे 2 दिन तक मध्यांचल अभियंताओं व पीएमए यूनिट के साथ टेस्ट किया गया।
जिसमें लगभग 21 कर्मियों का खुलासा हुआ साथ ही मोबाइल एप कंज्यूमर पोर्टल पर भी लगभग 10 कमियां सामने आई भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत मी डाटा मैनेजमेंट सिस्टम (एमडीएमएस) व हेड इंड सिस्टम (यच0ई0एस) मैं लगभग 19 कमियां सामने आई अंततः इतनी बडी कर्मियों को देखते हुए मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने निर्णय लिया कि मध्यांचल के अंतर्गत फीडर व वितरण ट्रांसफार्मर पर केवल टेंपरेरी तौर पर इसे लगाने की अनुमति दी जाती है और कमियां पूरी करने के बाद ही आगे लगाने की अनुमति दी जाएगी।
यदि समय से इन टैली स्मार्ट ने कर्मियों को ना दूर किया तो उसे मीटर लगाने के लिए रोका जाएगा ।अब सबसे बडा सवाल यह है कि पूरे पश्चिमांचल में इनटैली स्मार्ट को ही आर्डर मिला है और वहां पर वह बेहिचक बिना आईटी क्लीयरेंस के मीटर लगना शुरू कर दिया इसी प्रकार जीएमआर ने भी पूर्वांचल व दक्षिणांचल में मीटर लगना शुरू कर दिया। कोई देखने वाला नहीं है आने वाले समय में यह परियोजना इसी लचर व्यवस्था के तहत आगे बढी तो फेल होना तय है सबसे बडा चौंकाने वाला मामला आया है कि बिना क्लीयरेंस के पूर्वांचल में 7000 से ज्यादा मी जीएमआर ने लगा दिया।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद ने जो 5 दिन पहले मुद्दा उठाया था वह बिल्कुल सही पाया गया उपभोक्ता परिषद ने पहले ही खुलासा कर दिया था कि उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाली कंपनियां घटिया क्वालिटी के चीन निर्मित कंपोनेंट मीटर के अंदर लगा रखी है और बिजली कंपनियों के अभियंता निरीक्षण परीक्षण करने जब उद्योगपतियों के फैक्ट्री में जाते हैं तो मी खोलकर कंपोनेंट का मिलन भी नहीं करते न इन्वॉयस देखते हैं कि इसके अंदर की कंपोनेंट कहां से आए हैं।जिसकी वजह से मीटर की क्वालिटी अच्छी नहीं है और अब डेमो में ही कमियां सामने आना शुरू हो गई भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत जो आरएफपी में व्यवस्था है सबसे गंभीर सवाल की डाटा इंटीग्रिटी चेक ही मीटर में उपलब्ध नहीं है ऐसे में मीटर की विश्वसनीयता कैसे चेक होगी साथ ही एमडीएम को जो 27 पैरामीटर रिसीव होना चाहिए केवल ।
5 पैरामीटर रिसीव हो रहे हैं इसी प्रकार ऑेडीर में जो 31 पैरामीटर की जगह केवल 27 प्रोफाइल रिसीव हो रही मानक के अनुसार ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट ट्रिगर नहीं है ऑटो डिस्कनेक्ट फीचर में प्रॉब्लम है मीटर इनिशियल लोड को सही नहीं पढ़ रहा है मीटर स्क्रीन पर लास्ट मंथ की डिमांड सही नहीं शो हो रही है अलार्म कोई भी काम नहीं कर रहे हैं क्योंकि वह एमडीएम के साथ कॉन्फगिर नहीं है मीटर में सेट लोड लिमिट एमडीएम के साथ नहीं जुड रहा है बिलिंग साइकिल में भी दिक्कत है ऐसे दर्जनों तकनीकी कमियां मीटर के अंदर है निश्चित तौर पर जब मी उपभोक्ता के घर में लगेगा और वह सर्वर से जुडेगा तो और ज्यादा कमियां सामने आएंगे ऐसे में जिन भी बिजली कंपनियों मे बिना आईटी सिस्टम इंटीग्रेशन क्लीयरेंस के मीटर लगाने का काम शुरू किया गया है ।