लखनऊ। प्रदेश के 2 करोड़ 25 लाख ग्रामीण घरों तक जल जीवन मिशन के तहत साफ पानी पहुंचने से जल जनित बीमारियां 98 प्रतिशत तक कम हुई हैं। साथ ही 2024 में जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) जैसी जनित बीमारियों से प्रदेश में एक भी मृत्यु नहीं हुई है।
ये बातें गुरूवार को जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने जल जीवन मिशन द्वारा इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्टॉप डायरिया कैंपेन के तहत ‘वॉटरलाइन टू लाइफ लाइन‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला के दौरान कही।
जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया घर-घर पहुंचे साफ पानी के फायदे
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जलशक्ति मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में जल जनित बीमारियों के 4 लाख 43 हजार मरीज थे, जिनकी संख्या 2024 में घटकर 7000 हो गई है। वहीं, पूर्वांचल में दिमागी बुखार से एक भी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण आज बच्चे इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित हैं। इस मौके पर राज्यमंत्री रामकेश निषाद ने कहा कि पहले जो पानी बीमारी फैलाने में आगे रहता था, अब वहीं जल घर-घर खुशियां फैला रहा है।
2024 में पूर्वांचल में दिमागी बुखार से एक भी बच्चे की मौत नहीं
कार्यक्रम के नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, जल निगम ग्रामीण के एमडी राजशेखर, राज्य स्वच्छ्ता एवं पेयजल मिशन के कार्यकारी निदेशक बृजराज सिंह यादव,दैनिक जागरण के संपादक आशुतोष शुक्ल और भारत समाचार के संपादक ब्रजेश मिश्र, आकाशवाणी की डायरेक्टर मीनू खरे समेत कई लोग मौजूद थे।
एक महीने में बुंदेलखंड के हर घर तक पहुंचेगा नल से शुद्ध जल : कार्यक्रम के दौरान जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड के ज्यादातर गांवों में नल से जल पहुंचाया जा रहा है। जिन कुछ मजरों या घरों में अभी तक नल से जल नहीं पहुंचा है। वहां अगले महीने तक नल से शुद्ध जल की सप्लाई होने लगेगी।
जातिवाद के चक्कर में फंसे, तो बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसा हाल होगा :
प्रदेश भर से आए ग्राम प्रधानों, ग्रामीणों को संबोधित करते हुए जलशक्ति मंत्री ने कहा कि जातिवाद, वंशवाद और परिवारवाद सिर्फ राष्ट्रवाद होना चाहिए। जातिवाद के चक्कर में मत फंसिए, जाति के चक्कर में पड़े तो हमारी स्थिति भी बांग्लादेश और अफगानिस्तान की तरह हो जाएगी। जहां जातिवाद हैं वहीं भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि मोदी-योगी हर वक्त जनता के साथ खड़े हैं। प्रधानमंत्री का सपना है कि हर व्यक्ति को साफ पानी, पक्का मकान, हर गांव में पक्की सड़क पहुंचे और हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। इसके लिए प्रधानमंत्री लगातार काम कर रहे हैं।
साथ ही जलशक्ति मंत्री ने प्रदेश भर से आए ग्राम प्रधानों और लोगों को योजना को आगे भी सफल बनाने का मंत्र दिया। मंत्री ने कहा कि सरकार ने आपके घरों तक नल से शुद्ध जल पहुंचा दिया है।
जल जीवन मिशन घर-घर ला रहा खुशहाली : रामकेश निषाद
अब आपकी भी जिम्मेदारी है पाइपलाइन, सुरक्षित रहे, पानी घर तक पहुंचता रहे और पानी की बर्बादी न हो। जल संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छता अभियान जिस तरह से जन आंदोलन बना। उसी तरह से जल जीवन मिशन भी अब जन आंदोलन बन गया है।
योजना के साथ ही बनाई गई अनुरक्षण नीति
कार्यक्रम के दौरान नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि जल जीवन मिशन योजना जब प्रदेश में लागू की गई, तो उसी के साथ ही तय किया गया कि जो कॉन्ट्रैक्टर योजना का निर्माण करेगा, वहीं 10 साल तक अनुरक्षण कार्य भी करेगा। इसके लिए कैबिनेट ने अनुरक्षण नीति को मंजूरी दे दी है।
इसके तहत अनुरक्षण के लिए कॉन्ट्रैक्टर को पैसा तभी दिया जाएगा, जब ये सुनिश्चित कर लिया जाएगा कि हर घर तक शुद्ध जल पहुंच रहा है।
ग्राम प्रधानों, एफटीके महिलाओं को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से 600 ग्राम प्रधान और पानी की जांच करने वाली महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान जल शक्ति मंत्री ने अच्छा काम करने वाले ग्राम प्रधानों और पानी की जांच करने वाली महिलाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस दौरान एफटीके विमेन रामपुर की शबीना बी, बरेली की सविता दुर्गेश कुमार, झांसी की नीतू सिंह, अलीगढ़ की कमलेश देवी को सम्मानित किया गया।
वहीं फर्रूखाबाद की ग्राम प्रधान शशि प्रभा शुक्ला, मिर्जापुर के ग्राम प्रधानस मनोज कुमार मौर्य समेत बड़ी संख्या में प्रधानों और एफटीके महिलाओं को सम्मानित किया गया। जल शक्ति मंत्री राज्य स्वच्छता पेयजल मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम की तारीफ की।
जलजनित बीमारियों से बचने के लिए सत्र का आयोजन
कार्यक्रम के दौरान डायरिया और जलजनित बीमारियों से बचने के लिए स्ट्रेंथइंग इनेबलिंग एनवायरमेंट फॉर वॉटर, सैनिटेशन एंड हाइजिन के विषय पर सत्र का आयोजन किया गया।
इस सत्र में मेदांता के डॉ लोकेन्द्र गुप्ता ने कहा कि जलजनित जिनती भी बीमारियां हैं, अगर समय रहते उनकी पहचान कर ली गई। तो बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और जनहानि से बचाया जा सकता है।
इस सत्र में केजीएमयू की प्रोफेसर डॉ. शीतल वर्मा, डॉ सौरभ कश्यप, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान और डॉ राहुल वैश्य मौजूद थे। प्रथम सत्र के बाद आकाशवाणी की डायरेक्टर मीनू खरे ने कहा कि हर धर्म में जल संरक्षण समाहित है। हमें उनपर चलने की जरूरत है।
कार्यक्रम में दैनिक जागरण के संपादक आशुतोष शुक्ल ने कहा कि हम सब नदियों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं। जल संरक्षण और नदियों को साफ करने के लिए नए सिरे से सोचना होगा। ट्रांसफॉर्मिंग रूरल यूपी के नाम से दूसरे सत्र का आयोजन किया गया।
लोगों को ये समझने की जरूरत है कि सरकार ने नल से जल पहुंचा दिया। मगर जल संरक्षण और ये पानी लगातार आता रहे। इसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा।
संजय सिंह, परमार्थ समाजसेवी संस्थान
जल संरक्षण के लिए पहले हमें संस्कृति को बचाना होगा। सरकार की अपनी सीमाएं हैं। हमें ये सोचना होगा कि आखिर 20 साल में हमने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से हम आरओ के पानी पर आ गए।
लोगों को जल संरक्षण की संस्कृति अपनानी होगी। छोटे-छोटे बदलाव लाकर हम जल संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं।
शिप्रा पाठक, ग्लोबल वॉटर एंबेस्डर
जल संरक्षण में ग्राम प्रधानों की अहम भूमिका हो सकती है। हमें ऐसी प्लानिंग करनी होगी, जिससे जलस्तर न घटे और पानी की शुद्धता बनी रहे। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहले से ट्रेनिंग करनी होगी। जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
अवनीश सिंह, एमएलसी , चेयरमैन, नेचुरल डिजास्टर कमेटी
लोगों को ये समझने की जरूरत है कि सरकार ने नल से जल पहुंचा दिया। मगर जल संरक्षण और ये पानी लगातार आता रहे। इसके लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा।
संजय सिंह, परमार्थ समाजसेवी संस्थान
जल संरक्षण के लिए पहले हमें संस्कृति को बचाना होगा। सरकार की अपनी सीमाएं हैं। हमें ये सोचना होगा कि आखिर 20 साल में हमने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से हम आरओ के पानी पर आ गए।
लोगों को जल संरक्षण की संस्कृति अपनानी होगी। छोटे-छोटे बदलाव लाकर हम जल संरक्षण को बढ़ावा दे सकते हैं।
शिप्रा पाठक, ग्लोबल वॉटर एंबेस्डर
जल संरक्षण में ग्राम प्रधानों की अहम भूमिका हो सकती है। हमें ऐसी प्लानिंग करनी होगी, जिससे जलस्तर न घटे और पानी की शुद्धता बनी रहे। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहले से ट्रेनिंग करनी होगी। जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
अवनीश सिंह, एमएलसी , चेयरमैन, नेचुरल डिजास्टर कमेटी
10 साल पहले हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि गांवों में नल से जल पहुंचाया जा सकता है। लेकिन ये किया गया। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। जो पानी आपके घर पहुंच चुका है। इसके मेंटेनेंस की सबसे बड़ी जिम्मेदारी अब जनता की है। मीडिया को केस स्टडी निकालनी होगी और लोगों को ये बताना होगा कि नल से जल पहुंचने से लोगों का जीवन कैसे बदला।
ब्रजेश मिश्र, संपादक, भारत समाचार