लखनऊ।लखनऊ के लोहिया हॉस्पिटल में स्थिति विजय श्री फाउन्डेशन (प्रसादम सेवा ) एक अत्यंत प्रेरणादायक आयोजन हुआ, जब माननीय श्री विवेक कुमार जी (न्यायाधीश) और श्रीमती मीनाक्षी जी ने अपनी वैवाहिक वर्षगांठ को एक अद्वितीय तरीके से मनाते हुए समाज सेवा की मिसाल पेश की। इस अवसर पर, उन्होंने कैंसर और असाध्य रोगों से ग्रसित निःसक्त तिमारदारों को भोजन सेवा प्रदान की। उनका यह कार्य केवल एक वैवाहिक वर्षगांठ मनाने का तरीका नहीं था, बल्कि यह एक सेवा दिवस के रूप में प्रस्तुत हुआ, जिसमें उन्होंने समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद करने के साथ-साथ अपने परिवार की ओर से एक बड़े पुण्य कार्य को अंजाम दिया।
श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी ने इस अवसर पर सेवा धर्म को सर्वोच्च मानते हुए, लोहिया हॉस्पिटल के मरीजों और उनके तिमारदारों को भोजन प्रदान किया। इस नेक कार्य के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि “नर सेवा ही नारायण सेवा है” और मानवता की सेवा को सर्वोपरि रखा। जब श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी ने सेवा कार्य की शुरुआत की, तो उनके चेहरों पर संतोष और आनंद के भाव थे, क्योंकि वे यह देख रहे थे कि उनकी छोटी सी मदद से कई लोग खुश और संतुष्ट हो रहे हैं। इस दृश्य ने उनके हृदय को गहरे संतोष से भर दिया, जो एक सच्ची सेवा भावना का प्रतीक था।
इस विशेष अवसर पर श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी की सेवा भावना और समर्पण ने सभी को प्रेरित किया। उनका यह प्रयास वास्तव में समाज में सेवा के महत्व को जागरूक करने वाला था। उनका मानना है कि सेवा एक अत्यंत पवित्र कार्य है, जो आत्मिक शांति और संतोष का मार्ग खोलता है। इस अवसर पर उन्होंने तुलसीदास जी के प्रसिद्ध शेर “सिर भर जाऊ उचित यह मोरा, सबते सेवक धरम कठोरा” का स्मरण किया, जो यह बताता है कि सेवा करना ही सच्चा धर्म है और यह हमारे जीवन का सर्वोत्तम कार्य है।
प्रसादम परिवार की ओर से शुभकामनाएं
इस प्रेरणादायक कार्य को पूरा करने के लिए श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी को प्रसादम परिवार की ओर से विशेष आभार और शुभकामनाएं दी गईं। फूडमैन विशाल सिंह ने इस अवसर पर उन्हें बधाई दी और कहा, “आप दोनों ने न केवल अपनी वैवाहिक वर्षगांठ को यादगार बनाया, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का आदर्श भी प्रस्तुत किया है। इस तरह के पुण्य कार्यों से ही समाज में बदलाव संभव है।”
विशाल सिंह ने आगे कहा, “प्रसादम परिवार हमेशा ऐसे कार्यों में भागीदारी करने के लिए तत्पर रहता है और हम आपके परिवार को कोटि-कोटि धन्यवाद देते हैं कि आपने हमें इस सेवा कार्य में सहभागी बनने का अवसर दिया।” साथ ही, उन्होंने मां अन्नपूर्णा से प्रार्थना की कि श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी का परिवार हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहे और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहे।
समाज में सेवा का महत्व
इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि समाज में सेवा का कार्य न केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह पूरे समाज को लाभ पहुंचाने वाला होता है। श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी की वैवाहिक वर्षगांठ पर किया गया यह सेवा कार्य इस बात का उदाहरण है कि जब हम अपनी खुशी और समृद्धि को दूसरों की मदद में लगाते हैं, तो असली सुख और संतोष प्राप्त होता है।
यह आयोजन न केवल इस जोड़े की वैवाहिक सालगिरह को एक यादगार घटना बनाता है, बल्कि यह समाज में सेवा और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेरणा भी बनता है। ऐसे पुण्य कार्यों के माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारे और सहयोग की भावना को फैलाने में मदद मिलती है।
नवीन कार्यों के लिए प्रेरणा
इस आयोजन ने यह भी साबित किया कि किसी भी दिन को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने के लिए समर्पित किया जा सकता है। श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी का यह कदम निश्चित रूप से समाज के अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। समाज में इस प्रकार के पुण्य कार्यों के माध्यम से हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी को समझने और दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
श्री विवेक कुमार जी और श्रीमती मीनाक्षी जी का यह कार्य न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना था, बल्कि यह पूरे समाज को एक नई दिशा देने का काम करेगा। उनके इस सेवा कार्य को देखकर अन्य लोग भी प्रेरित होंगे और समाज में सेवा की भावना और अधिक प्रबल होगी।