हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है। इस मिलन का मार्ग कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारी सेवा और परोपकार की भावना में छिपा हुआ है। जब हम नर सेवा, यानी मानवता की सेवा करते हैं, तब हम वास्तव में नारायण सेवा, अर्थात् ईश्वर की आराधना करते हैं। यह सेवा ही वह सीढ़ी है, जो आत्मा को परमात्मा तक पहुंचने में मदद करती है।
नर सेवा: ईश्वर की प्राप्ति का माध्यम
हमारी संस्कृति में यह मान्यता है कि हर जीव में ईश्वर का वास है। जब हम किसी भूखे को भोजन देते हैं, किसी बीमार की सहायता करते हैं, या किसी जरूरतमंद का सहारा बनते हैं, तो हम सीधे ईश्वर की सेवा कर रहे होते हैं। यह केवल एक भौतिक कार्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और उसे परमात्मा के करीब ले जाता है।
आत्मा और परमात्मा का संबंध
आत्मा और परमात्मा का संबंध जल और समुद्र के समान है। जैसे समुद्र की हर बूंद समुद्र का ही हिस्सा होती है, वैसे ही आत्मा भी परमात्मा का अंश है। लेकिन आत्मा जब तक माया, अहंकार, और स्वार्थ के जाल में फंसी रहती है, तब तक वह परमात्मा से दूर रहती है। सेवा और परोपकार इन बंधनों को तोड़ने का माध्यम है।
सेवा में छिपा आनंद
जब हम सच्चे मन से किसी की सहायता करते हैं, तो हमारे भीतर एक अनोखी शांति और संतोष का अनुभव होता है। यह आनंद भौतिक सुख-सुविधाओं से बहुत परे है। सेवा का यह आनंद आत्मा को शुद्ध करता है और उसे परमात्मा के दिव्य प्रकाश में विलीन होने के लिए तैयार करता है।
नर सेवा का महत्व
- आत्मिक शुद्धि: सेवा आत्मा को अहंकार, स्वार्थ और नकारात्मकता से मुक्त करती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सेवा करने से मन और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- पुण्य अर्जन: सेवा के माध्यम से हम न केवल इस जन्म में पुण्य अर्जित करते हैं, बल्कि अपने अगले जन्म को भी सुखद बनाते हैं।
- ईश्वर से निकटता: सेवा के माध्यम से हम यह अनुभव करते हैं कि हम ईश्वर के करीब हैं, क्योंकि सेवा करना ही सच्चा धर्म है।
शास्त्रों में नर सेवा का महत्व
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई।”
इस पंक्ति में स्पष्ट कहा गया है कि दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई धर्म नहीं है।
भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं:
“जो व्यक्ति सभी प्राणियों को अपने समान समझता है, वह मुझमें स्थित है।”
इसका तात्पर्य है कि हर प्राणी में ईश्वर का वास है और उनकी सेवा करना ही ईश्वर की सेवा है।
सेवा का मार्ग: आत्मा से परमात्मा तक
सेवा एक साधना है। यह साधना केवल भौतिक कार्य नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम है। जब हम निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं, तो हम अपने भीतर के ईश्वर को जाग्रत करते हैं।
सेवा के माध्यम से परमात्मा की अनुभूति
- भूखे को भोजन देना: यह सबसे सरल और प्रभावी सेवा है, जो आत्मा को शुद्ध करती है।
- बीमारों की मदद: अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों की सहायता करना सेवा का श्रेष्ठ रूप है।
- प्रकृति की रक्षा: पर्यावरण की सेवा भी परमात्मा की सेवा है, क्योंकि प्रकृति में ईश्वर का वास है।
- शिक्षा का प्रसार: जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करना एक महान सेवा है, जो समाज और आत्मा दोनों को ऊंचा उठाती है।
आत्मा और परमात्मा का मिलन सेवा और परोपकार के माध्यम से ही संभव है। नर सेवा नारायण सेवा का मार्ग हमें इस भौतिक संसार के मोह-माया से ऊपर उठाकर ईश्वर की ओर ले जाता है। यह मार्ग न केवल हमारे जीवन को सार्थक बनाता है, बल्कि हमारी आत्मा को परमात्मा के दिव्य प्रकाश में विलीन होने का अवसर भी देता है।
इसलिए, अपने जीवन को सच्चे अर्थों में सार्थक बनाने के लिए सेवा का मार्ग अपनाएं और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का यह अनमोल अवसर प्राप्त करें।
फ़ूडमैंन विशाल सिंह की कलम से