- जिले में सुनवाई न होने पर समाजसेवियों ने लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव खनन से की थी शिकायत
सोनभद्र (राशिद अल्वी )। जनपद सोनभद्र कोयला की तस्करी और अवैध खनन के लिए समूचे पूर्वांचल में कुख्यात है। इसे लेकर समय समय पर कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है। मगर उसके बावजूद कोयले की तस्करी और अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में लगातार अवैध खनन की खबरें प्रकाशित हो रही हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए जनपद सोनभद्र के समाजसेवियों ने आवाज़ बुलंद की। जिले में ज़िम्मेदार अधिकारियों से लिखित शिकायतें भी की। इसके बाद भी जब जिले में सुनवाई नहीं हुई तो समाजसेवियों ने लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव खनन से भी शिकायतें की।
इसके बाद लखनऊ मुख्यालय से 25 दिसम्बर 2024 को एक जांच टीम जनपद सोनभद्र में दाखिल हुई। यह जांच दो दिन यानी 26 दिसम्बर दुपहर 3 बजे तक चली। दिलचस्प बात यह रही कि जांच टीम ने जिले में किसी भी शिकायत कर्ता को बुलाना और बात करना भी मुनासिब नहीं समझा। ओबरा के समाजसेवी श्याम जी मिश्रा ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि जांच टीम खनिज कार्यालय में बंद कमरे में जांच के नाम पर लीपा पोती करने में मस्त नज़र आयी।
वहीं जांच टीम ने मीडिया के सवालों का जवाब देने से कन्नी काटती हुई नजर आयी। यही नहीं जब जांच टीम खनन बेल्ट में पहुंची तो खनन माफियाओं ने खदानों में खनन कार्यों को आनन फानन में बंद करा दिया। अगर सबकुछ सही था तो जांच टीम के आते ही खनन कार्यों को बंद क्यों कर दिया जाता है। इस यच्छ प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है। यही हाल सोन नदी में होने वाले खनन कार्यों में भी देखने को मिला। जब एनजीटी की टीम सोन नदी में होने वाले अवैध खनन की जांच करने पहुंची थी। उस वक्त भी सभी खादानों में मरघट सा सन्नाटा पसर गया था।
भारी भरकम मशीनों और नावों को निकालकर छुपा दिया गया था। अगर सब कुछ सही था तो फिर इन खदानों में जांच के दौरान काम क्यों ठप्प कर दिया जाता है। इसका जवाब जिम्मेदार लोगो के पास नहीं है। खनन माफिया बार बार अवैध खनन के खेल में पकड़े जाते हैं। मगर जुर्माना देकर अपराध से मुक्त हो जाते हैं। जबकि खनिज नियमावली में कारावास का भी प्रावधान है। परंतु किसी को भी अरेस्ट कर सलाखों के पीछे नहीं भेजा जाता है।
वही जिले में प्रतिदिन करोड़ों के कोयले की तस्करी रोज़ की जाती है। लेकिन जिले से लेकर देश की राजधानी लखनऊ तक सभी मौन हैं। शासन सत्ता के संरक्षण में पल रहे एक बड़े पूर्वांचल के एक बड़े माफिया का कोयले की तश्करी में अहम रोल है। इसीलिए इस गोरखधंधे को रोकने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा है। वहीं सालाइबनवा रेल ट्रैक यार्ड साइड पर सालों से कोयले की कालाबाजारी का खेल बेधड़क खेला जा रहा है। इसकी शिकायत भाजपा के दिग्गज युवा नेता एवं समाजसेवी अनिल कुमार द्विवेदी ने लखनऊ जाकर किया था। जिसमें उन्होंने सिंह और खनन कारोबारी राहुल श्रीवास्तव और उनके बेटे पर गंभीर इल्ज़ाम लगाया था। इस शिकायत पर लखनऊ से आयी खनन टीम ने जांच किया। मौके पर किसी प्रकार के कागजात उपलब्ध नहीं थे। न ही इस पर स्थानीय स्टेशन मास्टर को ही कोई जानकारी है।
इसके बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी मौन धारण किये हुए हैं। आखिर कोयले की तश्करी और अवैध खनन के खेल पर कब अंकुश लगेगा। इसकी ज़मानत कोई भी देने वाला नहीं है। अब जनपद के समाजसेवी मायूस होकर जन आंदोलन की बात कह रहे हैं। इसपर जनपद सोनभद्र के नामचीन समाजसेवी एवं पर्यावरण प्रेमी डॉक्टर भागीरथी सिंह मौर्य का कहना है कि सोन नदी में हो रहे अंधाधुंध अवैध खनन से सोन नदी का मूल स्वरूप बदल रहा है।
जिसका घातक प्रभाव मानव जीवन पर पड़ेगा। इसे रोकने के लिए हर न्यायोचित क़दम उठाने के बाद भी कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। भागीरथी सिंह ने आगे अपनी रणनीति पर चर्चा करते हुए बताया कि अब मैं अवैध खनन को बंद कराने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करूंगा। इतना सब कुछ होने के बाद भी ज़िम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। फ़िलहाल जांच टीम सोनभद्र से खनन की जांच कर चली गई है । अब देखना होगा कि इस जांच का निर्णय कब आता है और कब अंकुश लगेगा