जैसा आप सभी को पता है कि पूरे देश में शारदीय नवरात्रि का त्यौहार बेहद धूमधाम तरीके से मनाई जा रही है। भारत में ऐसे कई राज्य हैं जहाँ नवरात्रि को स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं के मुताबिक अलग-अलग तरीकों से सेलिब्रेट करते है। एक तरफ जहाँ उत्तर भारत में रामलीला का बेहद महत्व है तो वही दूसरी और गुजरात में डांडिया और गरबा से मातारानी का स्वागत किया जाता है। उत्तर से लेकर दक्षिण, पूर्व से लेकर पश्चिम हर जगह नवरात्र के मौके पर भक्त झूमते हुए नज़र आते है।
तो चलिए आज हम आपको बताते है कि भारत में अलग अलग राज्यों में नवरात्रि किस अंदाज में मनाई जाती है….
उत्तर प्रदेश में नवरात्रि आते ही हर तरफ रामलीला की धूम होती है और धूम हो भी क्यों ना ? उत्तर प्रदेश में भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या जो है इसलिए अयोध्या की रामलीला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। 10 दिनों तक चलने वाले इस रामलीला के आयोजन में भगवान राम की लीलाओं का मंचन किया जाता है और दसवें दिन दशहरा का त्यौहार मनाकर पर्व का समापन कर दिया जाता है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की तरह ही बिहार में नवरात्री मानने का तरीका एक जैसे ही है। यहां नवरात्रि के नौ दिनों तक कई जगह पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। साथ ही मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की धूमधाम से पूजा होती है और भव्य स्थानीय पंडाल सजाए जाते हैं।
अब बात करते है आंध्र प्रदेश की। इस राज्य की एक खास परम्परा है कि नवरात्रि के दौरान अविवाहित लड़कियां अपनी पसंद के जीवनसाथी की तलाश में सांप्रदायिक पूजा में शामिल होती हैं। देवी मां की पूजा के लिए महिलाएं स्थानीय फूलों का उपयोग करके समय-सम्मानित शैली में फूलों के ढेर बनाती हैं और उत्सव के आखिरी दिन इस ढेर को किसी नदी में विसर्जित कर देती है। आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश में नवरात्रि बतुकम्मा के रूप में मनाया जाता है जिसका अर्थ है, माँ देवी जीवित है। ये फेस्टिवल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस मौके पर फूलों से सात सतह से गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है और बतुकम्मा को महागौरी के रूप में पूजा जाता है।
नवरात्र की असली धूम देखनी हो, तो गुजरात की ओर रूख करें क्योकि गुजरात में नवरात्रि का फेस्टिवल बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है और यहां की फेमस डांडिया और गरबा की बात करें तो इसका आयोजन बड़े स्तर पर किया जाता है। गुजरात के गरबा की पहचान दुनियाभर में हैं। लोग विशेष रूप से इस पारंपरिक और धार्मिक त्योहार का आनंद लेने गुजरात आते हैं।
वैसे तो नवरात्रि में गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी गरबा और डांडियें का आयोजन किया जाता है लेकिन इस दौरान यहां एक अनोखी परंपरा भी निभायी जाती है। इस परंपरा में विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को अपने घर आने का न्योता देती हैं और फिर उन्हें सुहाग की चीज़ें जैसे- सिन्दूर, बिंदी, कुमकुम आदि देकर उन्हें सजाती हैं।
तमिलनाडु में नवरात्रि का त्यौहार बिल्कुल अलग तरीके से मनाते हैं। इस महापर्व को बोमई गोलू या नवरत्रि गोलू के नाम से जाना जाता है। इस मौके पर यहाँ ट्रेडिशनल गुड़ियों की झांकी सजाई जाती है। लोग अपने घरों में दिए जलाते है और मंगल गीत गाते है। माना जाता है कि ये परम्परा महाभारत के समय से चली आ रही है।
पश्चिम बंगाल में नवरात्री बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह पर्व नवरात्रि के छठे दिन शुरू होते है जिसे बोधन कहा जाता है। इस मौके पर बंगाल की महिलाएं पारंपरिक साड़ी पहनकर हैं, ढाक की धुन पर एक तरह का नृत्य करती है जिसे धुनुची कहते हैं. साथ ही बंगाल में जगह-जगह पर भव्य पंडाल लगाए जाते और कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
केरल में नवरात्रि को एक अनोखे तरीके से मनाया जाता है। नवरात्रि के इस महापर्व पर ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग यहां पर देवी की पूजा में किताबें, पेन, पेंसिल जैसे तमाम चीजें रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी सरस्वती की कृपा उन पर बनी रहती हैं।
कर्नाटक के मैसूर शहर में नवरात्रि का उत्सव अनूठा होता है। इसे 17वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा शुरू किया गया था। आपको बता दें कि विजयादशमी पर मैसूर महल को एक लाख से अधिक लाइट्स से सजाया जाता है और इस दौरान दशमी वाले दिन संगीतकारों का एक भव्य जुलूस हाथी के ऊपर मां दुर्गा की छवि को रखकर पूरे शहर में लेकर जाते हैं और इस उत्सव को धूमधाम तरीके से मनाते हैं।
हिमाचल कई देवी मंदिरों का घर है, इसलिए जब देवी की पवित्र नौ रातों को मनाने की बात आती है तो राज्य में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाना तो लाजमी है। हिमाचल प्रदेश में नवरात्रि समारोह तब शुरू होते हैं जब शेष भारत पूजा को बंद करने के करीब आता है। कुल्लु घाटी के ढालपुर मैदान में, भगवान रघुनाथ (राम) की नौ दिनों तक चलने वाले उत्सव के दौरान अन्य देवताओं के साथ पूजा की जाती है। त्योहार के दसवें दिन को कुल्लू दशहरा कहा जाता है।
राजस्थान के शाही राज्य में , नवरात्रि को मारवाड़ महोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो समृद्ध राजस्थानी विरासत को प्रदर्शित करता है। यह लोक संगीतकारों और नर्तकों के चमकने का समय है। ढोलक की गूंजती थाप और चांदनी आसमान के नीचे घूमर नृत्य एक जादुई माहौल बनाते हैं जो इस रेगिस्तानी भूमि के लिए अद्वितीय है।