नि:स्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करना ही आनंद मार्ग का लक्ष्य

बिना सेवा के जीवन में आनंद की कल्पना नहीं कर सकते, सेवा से ही आनंद को महसूस किया जा सकता है।

फ़ूडमैन विशाल सिंह की कलम से…

साथियों, जैसा आप सभी को पता है कि मानव का जीवन कठिनाइयों से भरा है जो कभी सामाजिक व आर्थिक संघर्ष के रूप में देखने को मिलता है तो कभी भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यांओ के साथ हमारे जीवन में प्रवेश करती है और इन सभी से ऊपर होता है आत्मिक संघर्ष। यह वह स्थिति होती है जब व्यक्ति के अंदर विचार, भावनाएँ या निर्णय आपस में टकराते हैं। इन सभी परेशानियों को पार करने के लिए जीवन में आनंद का होना बेहद जरुरी है। इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि कैसे हम अपने ज़िन्दगी में आंनद को लाकर इस कठिन परिस्थितियों में रहते हुए जीवन को सरल बनाएं।

जरूरतमंदों की सेवा से मिलता हैं आनंद

दोस्तों, हमारे जीवन में आनंद तभी आएगा जब हम किसी जरूरतमंद की सेवा करें, क्योंकि बिना सेवा के जीवन में आनंद की कल्पना नहीं कर सकते, सेवा से ही आनंद को महसूस किया जा सकता है। आनंद सेवा का अर्थ ही होता है, बिना किसी स्वार्थ या अपेक्षा के किसी की सेवा करना और उस सेवा में आनंद की अनुभूति करना। आनंद को पाने के लिए हम अपने इच्छा के मुताबिक कार्य कर सकते है। जैसे किसी गरीब को खाना खिलाना, वृद्धाश्रम या अनाथालय में सेवा करना, पर्यावरण की सुरक्षा के विषय में कार्य करना और आपदा के समय प्रभावित लोगों की मदद करना। साथियों, दूसरों की सेवा करना कर्तव्य के समान है, जिसे पूरा करने से सच्ची खुशी मिलती है।

सुखं वै जीवनं नाम आनन्दं, सन्तुष्टिः सर्वेषु विभावयेत्।
अनन्यचिन्तनं सदैव जीवितं, शोकादिमोक्षेण प्रमुच्यते जनः॥

‘नर सेवा नारायण सेवा’ मानवता की सबसे बड़ी सेवा

जीवन में आनंद और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम कार्य है भूखे को भोजन खिलाना, क्योंकि भोजन कराना एक महान और निस्वार्थ सेवा है, जिसे भारतीय परंपरा में सबसे पुण्यकारी कार्यों में से एक माना गया है। किसी की भूख मिटाने से जो खुशी मिलती है वह अनमोल होती है। इसलिए कहा गया है कि ‘नर सेवा नारायण सेवा’ मानवता की सेवा करना भगवान की सेवा करना है। हर मानव में ईश्वर का अंश होता है और इंसान को नारायण ने ही बनाया है, इसलिए, जब हम नारायण के बनाए जीव की सेवा करते हैं, तो हम ईश्वर की ही सेवा करते हैं। यह एक ऐसा कर्म है, जो आपके जीवन में शांति और आनंद लाता है। इस पहल से ही समाज में दया और मदद का माहौल बनाती है।

धर्मों को जोड़ता हैं सेवा भाव

धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो अन्नदान करना महान कार्य है। कई धर्मों में इसके बारें में बताया गया है। हिंदू धर्म की बात करें तो “अन्नदान” को सबसे बड़ा दान माना गया है। इस्लाम धर्म में गरीबों और भूखों को खिलाना “सदका” और “जकात” के रूप में एक पुण्य कार्य है कहा गया है तो वहीं सिख धर्म “लंगर” के माध्यम से हर धर्म और जाति के लोगों को निःशुल्क भोजन कराया जाता है। इसके अलावा ईसाई धर्म में यीशु मसीह ने गरीबों की मदद और उनकी भूख मिटाने पर जोर दिया है। आनंद सेवा का मूल उद्देश्य दूसरों की सहायता करके स्वयं में और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाना है। यह न केवल सेवा करने वाले को आनंद प्रदान करती है, बल्कि समाज में एकता और शांति का भी संदेश देती है।

हर पल ईश्वर को महसूस करें

साथियों, सेवा करने के साथ ही साथ हर काम में हर पल में ईश्वर को अपने अंदर और अपने आस-पास जरूर महसूस करें। इससे आंनद की जो अनुभूति होगी उसे शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता। परमेश्वर को अपना साथी बनाओ और अपने अंदर चल रहे सभी विचारों को ईश्वर के समक्ष रखें। इसके साथ ही ईश्वर से जरूर प्रार्थना करें कि वह आपके हर विचार और कार्य का मार्गदर्शन करें।

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