सुरभि रंजन एवं आलोक रंजन ने कैंसर मरीजों को कराया भोजन

लखनऊ। विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा के तत्वाधान में माँ अन्नपूर्णा सुरभि रंजन एवं आलोक रंजन [वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ] ने सेवा धर्म की पावन मंदाकिनी में डुबकी लगाते हुए मेडिकल कॉलेज, लखनऊ में कैंसर एवं असाध्य रोगियों के निःशक्त तीमारदारो की भोजन सेवा कर दरिद्र नारायण की सेवा के माध्यम से नर सेवा ही नारायण सेवा है, के ध्येय वाक्य को चरितार्थ किया।

मित्रों ,सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।

सेवा भाव के इसी महत्ता को अंगीकार करते हुए माँ अन्नपूर्णा सुरभि रंजन जी एवं श्री आलोक रंजन जी [वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ] का मानना है कि भक्ति और सेवा का भाव अविभाज्य हैं। सेवा वह है जो किसी दूसरे को सुख देने के लिये निष्प्रह और निष्काम भाव से की जाती है । मन से सबका हित चाहना ही सेवा है।

ऐसा तभी सम्भव है जब हम सबमे स्वयं को देखे। ” आत्मवत् सर्वभूतेषु ” की भावना से दूसरे का सुख दुःख अपना सुख दुःख हो जाता है, पर की भेद दृष्टि ही नही रहती ,इस अवस्था में हमारी समस्त चेष्टाएँ सेवा रूप हो जाती है और किसी की भी सेवा स्वयं सेवा होती है । यह मनुष्य को आत्मतुष्टि प्रदान करती है ।इसमें कृतिमता, दिखावा, आडम्बर या अहंकार आदि के लिये कोई स्थान नही होता है इस प्रकार की सेवा पूर्णतः निष्काम होती है ।

इस मौके पर फूडमैन विशाल सिंह ने माँ अन्नपूर्णा सुरभि रंजन एवं आलोक रंजन [वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ] को प्रसादम सेवा यज्ञ में अन्न की आहुति देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद देते हुए कहा कि भाइयों , जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं ,इसलिए प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में आपके पूरे परिवार ने प्रतिभाग करते हुए गरीब , असह्य , भूख से तडफते और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है , इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हू कि आप और आपका परिवार हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे आप इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करे, यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है ।

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