लखनऊ। बिहार की स्वर कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा का मंगलवार देर रात निधन हो गया। वह करीब 72 वर्ष की थी। शारदा सिन्हा का राजकीय सम्मान के साथ आज पटना में अंतिम संस्कार किया जाएगा। बुधवार सुबह 9:40 की फ्लाइट से शव को दिल्ली से पटना ले जाया जाएगा।
बिहार की स्वर कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा ने अपने गाये छठ गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में 1 अक्टूबर 1952 को हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत का माहौल मिला। उनके पिता सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। सुखदेव ठाकुर ने पुत्री शारदा को नृत्य और संगीत की शिक्षा दिलवानी शुरू कर दी थी और घर पर ही एक शिक्षक आकर शारदा सिन्हा को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने लगे थे।
शारदा सिन्हा जब छठी कक्षा में थी तभी पंडित रघु झा से उन्होंने संगीत सीखना शुरू कर दिया था। शारदा सिन्हा ने गुरु रामचंद्र झा से भी संगीत की शिक्षा हासिल की। शारदा सिन्हा की शादी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुयी थी। उनके ससुराल वाले बेगूसराय जिले के सिहमा गांव के थे, जहां उन्हें मैथिली लोकगीत सुनने का मौका मिला। यहीं से संगीत के प्रति उनका प्रेम और गहरा होता गया। शारदा सिन्हा की सफलता के पीछे उनके ससुर का अहम योगदान रहा है।
इसके अलावा उन्होंने हमेशा अपने पति का समर्थन पाया, जिसने उनके गायन करियर को आगे बढ़ाने में मदद की। शारदा सिन्हा ने वर्ष 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। वर्ष 1978 में उन्होंने पहली बार ‘उग हो सूरज देव’ गाना रिकॉर्ड किया। उन्होंने बॉलीवुड में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। वर्ष 1989 में प्रदर्शित फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ का गाना ‘कहे तो से सजना’ उनकी आवाज में बेहद लोकप्रिय हुआ।
इसके अलावा, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2’ और ‘चारफुटिया छोकरे’ जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज दी। वर्ष 2016 में उन्होंने ‘सुपवो ना मिले माई’ और ‘पहिले पहिल छठी मैया’ जैसे दो नए छठ गीत रिलीज किए। इन गीतों ने लोगों को फिर से छठ पूजा के महत्व से जोड़ा। शारदा सिन्हा को संगीत में उनके योगदान के लिए वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’ और वर्ष 2018 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।
शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ और ‘भोजपुरी कोकिला’ जैसे खिताबों से नवाजा गया। उन्हें पद्मश्री और पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से सम्मानित किया गया। उन्हें ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’, ‘बिहार गौरव’, ‘बिहार रत्न’, और ‘मिथिला विभूति’ सहित कई अन्य पुरस्कार मिले। वह हमेशा से छठ पूजा के गीतों से जुड़ी रही हैं। उन्होंने ‘केलवा के पात पर उगलन सूरुजमल झुके झुके’ और ‘सुनअ छठी माई’ जैसे कई प्रसिद्ध छठ गीत गाए हैं। उनके गीतों ने इस त्योहार को और भी खास बना दिया।