लखनऊ। शुक्रवार को विजय श्री फाउंडेशन , प्रसादम सेवा के तत्वाधान में दिल्ली से चलकर आये अपने पूरे परिवार की तरफ से प्रेम, शांति एवं मानवता के दिव्य संदेश सेवा भाव की पावन त्रिवेणी में डुबकी लगाते हुए पूरी श्रद्धा और तन्मयता से मेडिकल कॉलेज, लखनऊ में नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा करते हुए उन्हें प्रसाद वितरण किया।
इस मौके पर आप लोग नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा करते हुए भाव विभोर हो गए , आप लोगो ने इंसानियत ही सबसे बड़ा मजहब के भाव को वास्तविकता के धरातल पर चरितार्थ किया। ईश्वर ही इस प्रकृति के रचनाकर्ता हैं और वह ही इस प्रकृति की रचना को क्षण भर में नष्ट कर सकते हैं और पलभर में एक नई रचना पुन: रच सकते हैं। इस सामर्थ्यवान ईश्वर के हाथ में सभी कुछ है। जो इस सत्य को न समझने की भूल करते हैं और स्वयं को सर्वशक्तिमान मानने लगते हैं, वे मनुष्य दंड के पात्र बनते हैं।
उनके अनुसार यह संसार उनकी जागीर है परमात्मा सर्वशक्तिमान है। शक्तिऔर सामर्थ्य होते हुए भी वह सभी पर दया करता है। वह दया का सागर है, प्रेम का भंडार है। उससे कोई प्रीति करे न करे, वह सबसे प्रीत करता है, भगवान तो अपने सेवक पर अति प्रीत रखते हैं।
इस मौके पर फूडमैन विशाल सिंह ने विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से रमन शर्मा व उनके पूरे परिवार को भोजन सेवा के लिए साधुवाद देते हुए कहा कि भाइयों , जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं इसलिए प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में दिल्ली आये रमन शर्मा ने प्रतिभाग करते हुए गरीब, असह्य, भूख से तडपतें और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है।
इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि रमन शर्मा (दिल्ली वाले ) हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहे, आप सब इसी तरह से मुस्करातें हुए लोगों की सेवा करें, यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है।
मेरे जुनून पर मुझे इतना ऐतबार है, जो कुछ सोचा ज़ेहन में, उसमें कामयाबी पाई है।
ऐ भूख, अब तू अपने वजूद पर नाज़ न कर, क्योंकि तुझे मिटाने की मैंने कसम खाई है।”-फूडमैन विशाल सिंह