लखनऊ I नर सेवा ही नारायण सेवा है। जीव की सेवा करना ही परमात्मा की सच्ची सेवा है। मित्रो आज गोलोकवासी स्मृति शेष स्वर्गीय अमरेन्द्र सिंह सोमवंशी जी के पुण्यतिथि के अवसर पर अभय सिंह सोमवंशी जी (IAS) एवं पूरे परिवार की तरफ से पूरी श्रद्धा और तन्मयता से मेडिकल कॉलेज में स्तिथि विजयश्री फाउन्डेशन (प्रसादम सेवा केंद्र ) लखनऊ में कैंसरग्रस्त नि:शक्त तीमारदारों और जरुरतमंदों अपने हांथो से भोजन कराकर उन्हे प्रसाद वितरण किया गया।
इस अवसर पर आपका पूरा परिवार करुणामय हृदय से नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा करते हुए भाव विभोर हो गया, आप लोगो का सेवा भाव यह प्रतिबिम्बित कर रहा था कि नर सेवा ही नारायण सेवा है ।
अभय सिंह सोमवंशी जी (IAS) को सेवा संस्कार अपने माता-पिता से विरासत में मिले है आपने अपने परिवार की सेवा भाव की विरासत को आगे बढ़ाने का काम बखूबी कर रहे है। आपमे सेवा भाव ऐसा समाया है कि वो जरुरतमंदो की हर समय भरसक मदद करते रहते है।
अभय सिंह सोमवंशी जी (IAS) जी एक अच्छे अधिकारी के साथ विराट व्यक्तित्व व सेवा संस्कारों के धनी भी है और साथ ही समाज सेवा में हरदम सक्रिय रहकर सेवा मिशन को बल प्रदान करते रहते है। आप नर सेवा नारायण सेवा के इस पुनीत मिशन में भी अपना सतत मार्गदशन व सहयोग प्रदान करते रहते है। आपका परिवार भी संस्कार व सेवा भाव का धनी है और आप हर समय यह कोशिश करते रहते है कि इस मिशन के माध्यम से अधिक से अधिक लोग की सेवा हो सके।
अभय सिंह सोमवंशी जी (IAS) का पूरा परिवार विजय श्री फाउन्डेशन में समय-समय पर हर संभव मदद वह प्रसादम सेवा के एक महत्वपूर्ण स्तम्ब के रूप में यथा सम्भो मदत करते है बड़े भाई अभय सिंह सोमवंशी जी (IAS)जी ने कोरोना काल में भी हमारे संथानन के लिए बहुत हैं। हर तरह से मदद की हैI
सेवा परमो धर्मा के विचार से अनुप्राणित हो पूरा परिवार अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कहा कि अन्न दान श्रेष्ठ दान इसलिए है, क्योकि अन्न से ही शरीर चलता है। अन्न ही जीवन का आधार है। अन्न प्राण है, इसलिए इसका दान प्राणदान के सामान है। यह सभी दानो में श्रेष्ठ और ज्यादा फल देने वाला माना गया है। यह धर्म का सबसे महत्वपूर्ण अंग भी माना गया है।
भोजन सेवा से अभिभूत होकर आप लोगो ने कहा कि जिन वस्तुओं को हम खुद को खिलाने के लिए उपयोग करते हैं.वे ब्रम्हा हैं। भोजन ही ब्रम्हा है। भूख की आग में हम ब्रम्हा महसूस करते हैं और भोजन खाने और पचाने की क्रिया ब्रम्हा की क्रिया है। अंत में प्राप्त परिणाम ब्रम्हा है। अतः नर सेवा ही नारायण सेवा है।
इस अवसर पर विजयश्री फाउन्डेशन ( प्रसादम सेवा) के संस्थापक फ़ूडमैन विशाल सिंह ने स्व अमरेन्द्र सिंह सोमवंशी जी की पुण्यआत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि निष्काम सेवा के इस कंटकाकीर्ण मार्ग पर कोई विरला व्यक्ति ही चल सकता है ,और प्रभु के इस मार्ग पर जो चलता है वह व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व बन जाता है ।
निष्काम सेवा का अधिष्ठान यह भावना है कि संसार जगतनियंता की लीलास्थली है जिसमे वह परमप्रभु स्वयं विविधि रूपों में अपने खेल रचता है और स्वयं ही खेलता है ।उस महा प्रभु से साक्षात्कार करने का एक साधन तन, मन, धन, पद, प्रतिष्ठा,मोह, ममता और अहंकार का पूर्ण समर्पण है ।
तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा की भावना से समस्त सांसारिक व्यवहार परमात्मा के है ,परमात्मा के लिये है ,हम निमित्त मात्र हैं , कठपुतली की भाँति उनके खेल के साधन है । वास्तव में भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी पिलाना ही सच्ची मानवता है । समाज और संसार में नर सेवा ही नारायण सेवा है । यही पुण्यों का फिक्स डिपोजिट है।
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