लेखक शैलेंद्र कर विमल जी ने कहा कि नया साल एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है, जब हम पुराने अनुभवों से कुछ सीखकर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं। यह अवसर है नए सपनों को साकार करने और जीवन में सकारात्मकता लाने का। इस नए वर्ष में, हर दिन को एक नई उम्मीद और ऊर्जा के साथ जीने की प्रेरणा हमें मिलती है। आइये पढ़ते है शैलेंद्र कर विमल की कविता :-
एक नयी शुरूआत होने को है।
उदाहरण स्वरुप बनना है,
उदाहरण स्वरुप बनते रहना है,
एक विचार बदलाव ला देता है,
हमें बदलाव के नियम में अपना
योगदान देते रहना है।
मैंने क्षमादान सीख लिया है
क्षमता से ज्यादा है,
मुझे कोई परवाह नहीं
हैं,
क्षमा करना कोई गुनाह
नहीं है।
मुलाकातें हुईं हैं,
दिल से निकली बातें हुईं हैं,
मुक्कमल मुलाकात अभी बाकी है,
प्रतीक्षा इस की रही अहम साक्षी है।
जाते-जाते सर्दियों ने
घेरा है,
संघर्षी होकर हुआ सवेरा है,
सूरज की कोशिशें भी
सतत् जारी हैं,
निरन्तरता का संदेश
प्रकृति ने खूब बिखेरा है।
रचा इतिहास अतीत होने,
जा रहा है,
उत्साह ने नहीं पाया
कोई किनारा है,
चमत्कार के दर्शन हुए,
और होते रहेंगें,
दुःखों ने सुख की ऊर्जा
से मंथन कर पाया
हमेशां सहारा है।
लेखक – शैलेंद्र क र विमल।