मानवता की सेवा किसी भी जीव के प्रति करुणा का भाव रखना ही ईश्वर की सच्ची आराधना है। किसी भी जीव के प्रति करुणा, सहायता और प्रेम का प्रदर्शन न केवल समाज में अच्छाई लाता है।
सेवाभाव और कर्मयोग में अपने आत्मा को समर्पित करने वाले मृदुल हृदय व्यक्तित्व के धनी प्रसादम सेवा के आधार स्तम्भ बड़े भाई बंजुल कुमार ने अपने पूरे परिवार के साथ भक्ति और कृतज्ञता की प्रतीक स्वर्गीय मां मिथिलेश गुप्ता की पुण्य तिथि पर सेवा धर्म की पावन मन्दाकिनी में डुबकी लगाते हुए लोहिया हॉस्पिटल, लखनऊ में कैंसर एवं असाध्य रोगियों के नि:शक्त तीमारदारो की भोजन सेवा कर दरिद्र नारायण की सेवा के माध्यम से “नर सेवा ही नारायण सेवा” है, के ध्येय वाक्य को चरितार्थ किया।
इस पुण्य तिथि को सेवा दिवस के रूप में मनाते हुए गरीब ,असहाय एवं भूख से तड़पते लोगों की भोजन सेवा कर उन्हें आनंदित देखकर बंजुल कुमार के चेहरे पर “संतोषम परम सुखम्“ के भाव ने अपने कलेवर में बरबस ही बाबा तुलसी के इन पंक्तियों की तरफ ध्यान आकर्षित करा दिया कि –
“सिर भर जाऊ उचित यह मोरा, सबते सेवक धरम कठोरा”- रामचरितमानस
इसीलिए कहा गया है कि सेवा धर्म की पावन मंदाकिनी सबका मंगल करती है। यह लोक साधना का सहज संचरण है।दरिद्र नारायण की शुश्रुषा से बढ़कर कोई तप नहीं है। सेवा मानवीय गुण है , निष्काम सेवा का फल आंनद है। इस सम्बन्ध में तुलसी दास जी ने कहा है कि……
आगम निगम प्रसिद्ध पुराना । सेवा धरमु कठिन जगु जाना ।।
इस मौके पर फूडमैन विशाल सिंह, विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से स्वर्गीय माँ मिथिलेश गुप्ता की पुण्य तिथि के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित की। फूडमैन विशाल सिंह ने बंजुल कुमार और उनके पूरे परिवार को धन्यवाद किया साथ ही मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करते हुए हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहने की कामना की। आगे उन्होने इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करते रहने का निवेदन किया क्योंकि यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है।