लखनऊ I नर सेवा नारायण सेवा में आज की भोजन सेवा गोरखपुर के राम पुर नया गाँव से आये सेवादार प्रशांत सिंह (पुत्र ), प्रतीक सिंह (पुत्र ) व प्रिया सिंह, प्रियंका सिंह (पुत्री) एवं समस्त सिंह परिवार ने आज स्वर्गीय पिता श्री प्रदीप सिंह जी की पुण्यतिथि पर लोहिया इंस्टीट्यूट लखनऊ में स्तिथि विजयश्री श्री फाउंडेशन (प्रसादम सेवा ) में कैंसर एवं असाध्य रोगों से पीड़ित निशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर पूज्य पिता स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की I
पूज्य पिता स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रशांत सिंह ने कहा कि श्रध्देय पिता जी के प्रदत्त संस्कार व शिक्षाएं मेरे रुधिर के कण-कण में व्याप्त हैं। हम सब आज भी पिता जी के दिए संस्कार और उनके ही पदचिन्ह पर चल रहे है और सदैव मेरे मार्गदर्शक के रूप में पापा आप ही विद्यमान रहेंगे। सादर नमन।
पूज्य पिता स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रदीप सिंह ने बताया कि सरल ,सहज स्वभाव के धनी मेरे पिताजी ने कर्मठता के साथ पूरे परिवार को एक साथ लेकर चले हैं । वे सदा अपनी माटी से जुड़े रहे। पापा के दिए संस्कार और उनके विचारों से मैं हमेशा प्रभावित रहा । उनकी बताई सीख ,आदर्श एवं राजनैतिक अनुभव आज भी मेरे जीवन में मदद करते हैं । उनके बताए मार्ग में चलकर जीवन के हर समस्या , हर द्वन्द का हल मिलता है । वो सदा मेरी स्मृतियों में जीवित रहेंगे I आज उनके पुण्यतिथि पर पिताजी को हम सब की पुण्यस्मरण,सादर नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करता हूँI पापा आप बहुत याद आते है I
पूज्य पिता स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बेटी प्रिया सिंह और प्रियंका सिंह ने कहा कि ‘पापा’ आज हम उस हंसी और खुशी को याद करते हैं जो आप हमारे जीवन में हर दिन लाते थे। हम हमेशा आपके बारे में सोचते हैं और आपसे बहुत प्यार करते हैं। कोटि कोटि नमन पापा !
मनुष्य सहित समस्त चराचर जगत के पालक और रक्षक ईश्वर हैं। मनुष्य तथा अन्य जीवों की सेवा करने से हम ईश्वरीय विधान की अनुपालना में योगदान देते हैं। इसीलिए सेवा को सभी पंथों में पुण्य कर्म माना जाता है। सेवा के लिए परहित का भाव अनिवार्य है। सेवा वही सार्थक होगी, जो बिना किसी शर्त, नि:स्वार्थ भाव से संपन्न की जाए। धन-संपदा, पद और प्रसिद्धि के उद्देश्य से संपादित कार्य सेवा नहीं, अपितु सेवा का आडंबर है।
निष्ठा से, स्व-अर्जित में से एक अंश जरूरतमंद को देना सेवा का मुख्य घटक है। वही तीर्थाटन फलीभूत होता है जिस पर व्यय भी अपनी शुद्ध कमाई से किया जाए, अनैतिक आय या अनुदान से नहीं। सेवाकर्मी श्रद्धा और सामथ्र्य अनुसार दूसरे व्यक्ति या संस्था को उसकी आवश्यकता या अपेक्षा के अनुसार धन, वस्तु, सुविधा या सेवा प्रदान करते हैं।
नर सेवा ही वास्तव में ईश्वर की सेवा है। कहा जाता है कि कण कण में भगवान हैं, इस लिए नर सेवा ही नारायण सेवा है। भूखें व्यक्तियों को भोजन कराकर आप ईश्वर को प्रसन्न करते हैं क्योंकि वे ईश्वर के ही तो अंश हैं । इसीलिए सभी धर्मों में अन्नदान को महादान बताया गया है।
विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा के संस्थापक फूडमैन विशाल सिंह ने प्रशांत सिंह (पुत्र ), प्रतीक सिंह (पुत्र ) व प्रिया सिंह, प्रियंका सिंह (पुत्री) को विजयश्री फाउन्डेशन के जरिये आज हजारों लोगों की भोजन सेवा करने के लिए आभार जताया है साथ ही पूज्य पिता स्वर्गीय श्री प्रदीप सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । फ़ूडमैंन जी ने कहा कि भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी पिलाना ही सच्ची मानवता है । समाज और संसार में नर सेवा ही नारायण सेवा है । यही पुण्यों के फिक्स डिपोजिट है ।
इसी तरह मानव सेवा के मिशन को आगे बढ़ाते हुए अपने से दीन-हीन, असहाय, अभावग्रस्त, आश्रित, वृद्ध, विकलांग, जरूरतमंद व्यक्ति पर दया दिखाकर सेवा करने से ही समाज उन्नति करेगाI