“आत्मवत् सर्वभूतेषु “ की भावना से दूसरे का सुख दुःख अपना सुख दुःख हो जाता है , पर की भेद दृष्टि ही नही रहती ,इस अवस्था में हमारी समस्त चेष्टाएँ सेवा रूप हो जाती है और किसी की भी सेवा स्वयं सेवा होती है , यह मनुष्य को आत्मतुष्टि प्रदान करती है।
लखनऊ: अपने परिजनों की स्मृति अर्थात् उनके द्वारा स्थापित सामाजिक एवं पारिवारिक आदर्श जिन्हें अपने जीवन में परोक्ष रूप में अंगीकार किया है, उनके ना रहने पर उनके द्वारा जीवन में पिरोये गए आदर्शों को अपने दैनिक जीवन में चिरस्थाई रखने के लिए उनको तथा उनके आदर्शों को याद करना ही अपने परिजनों के प्रति सच्ची स्मृति होती हैं।
इसी क्रम में आज विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा के तत्वाधान में पूरा टंडन परिवार द्वारा अपने पिता स्वर्गीय जयशंकर टंडन एवं माता स्वर्गीय उर्मिला टंडन के स्मृति में प्रसादम के मेडिकल कॉलेज प्रांगण में कैंसर एवं असाध्य रोगो से पीड़ित मरीजों के निःशक्त तीमारदारों की भरपेट स्वादिष्ट भोजन द्वारा सेवा करके अपने परिजनों को याद किया गया एवं उनके द्वारा स्थापित सामाजिक एवं पारिवारिक आदर्शों को अंगीकार करते हुए उन पर आजीवन चलने का शपथ लिया गया।
पिता स्वर्गीय जयशंकर टंडन एवं माता स्वर्गीय उर्मिला टंडन के स्मृति के अवसर पर टंडन परिवार का मानना है कि सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता, हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।
हम सौभाग्यशाली हैं कि हमे भगवान ने नि:शक्त तीमारदारों की सेवा के लिए सक्षम बनाया। हमें विश्वास है कि नर सेवा नारायण सेवा के लिए हमने जिन लोगों को भोजन प्रसाद वितरण किया है , इसी में से कोई न कोई परमात्मा होगा जो हम सबका कल्याण करेंगे, क्योंकि कहा गया हैं कि- अन्नं ब्रह्मा रसो विष्णुर्भोक्ता देवो महेश्वरः अर्थात् अन्न ब्रह्म है, रस विष्णु है और खाने वाले महेश्वर हैं।
इस मौके पर फूडमैन विशाल सिंह ,विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से स्वर्गीय जयशंकर टंडन एवं स्वर्गीय उर्मिला टंडन को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए पूरे टंडन परिवार को धन्यवाद किया। इसके साथ ही मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना की, कि जे. एस. वी. फाउंडेशन हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे, और सब इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करे, यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है।