लखनऊ: मृदुल हृदय व्यक्तित्व से परिपूर्ण सेवा धर्म के प्रति समर्पित कुंवर प्रदीप सिंह एवं डॉ निरुपमा सिंह ने अपने पूरे परिवार के साथ लोहिया हॉस्पिटल, लखनऊ में कैंसर एवं असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों के निःशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर अपने प्रिय पुत्र कुंवर ऋषि सिंह के जन्मदिन के मंगल बेला पर उन्हें सेवारूपी मंगलकारी तोहफा प्रदान किया।
कुंवर सिंह ने सेवा धर्म की पावन मन्दाकिनी में डुबकी लगाते हुए दरिद्र नारायण की सेवा के माध्यम से नर सेवा ही नारायण सेवा है, के ध्येय वाक्य को चरितार्थ किया।
इस अवसर पर कुंवर प्रदीप सिंह ने कहा कि “परोपकारः पुण्याय पापाय परिपीडनम “, परोपकार से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। सच्चा प्रेम स्तुति से प्रकट नहीं होता, सेवा से प्रकट होता है। सेवा परमात्म तत्व ,वरदान ,यज्ञ ,तप और त्याग है। सेवा से परमतत्व सिद्ध होती है, सेवा का वास तप के मूल में है, अतः यह वरदान है। यह समझना मुश्किल नहीं है कि ईश्वर की भक्ति भी सेवा भाव से ही होती है भक्त वत्सल भगवन दीन -हीन लोगों की सेवा से और प्रसन्न होते हैं –
परहित सरिस धर्म नहि भाई ,
पर पीड़ा सम नहि अधमाई ।
इस मौके पर फ़ूडमैन विशाल सिंह ने पूरे प्रसादम परिवार की तरफ से कुंवर ऋषि सिंह को जन्म दिन की हार्दिक बधाई दी और कुंवर प्रदीप सिंह एवं डॉ निरुपमा सिंह को भोजन सेवा के लिए धन्यवाद किया। आगे विशाल सिंह ने कहा कि माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद सदैव कुंवर सिंह के परिवार पर बना रहे और ऐसे ही मुस्कारते हुए दीन -दुखियों की सेवा करते रहे।
आगे विशाल सिंह ने बताया कि ईश्वर ही इस प्रकृति के रचनाकर्ता हैं और वह ही इस प्रकृति की रचना को क्षण भर में नष्ट कर सकते हैं और पलभर में एक नई रचना पुन: रच सकते हैं। इस सामर्थ्यवान ईश्वर के हाथ में सभी कुछ है। जो इस सत्य को न समझने की भूल करते हैं और स्वयं को सर्वशक्तिमान मानने लगते हैं, वे मनुष्य दंड के पात्र बनते हैं।
यह संसार उनकी जागीर है परमात्मा सर्वशक्तिमान है। शक्तिऔर सामर्थ्य होते हुए भी वह सभी पर दया करता है। वह दया का सागर है, प्रेम का भंडार है। उससे कोई प्रीति करे न करे, वह सबसे प्रीत करता है। भगवान तो अपने सेवक पर अति प्रीत रखते हैं।
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