ऋषि पंचमी एक हिन्दू त्योहार है जो श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से ऋषियों और संतों की पूजा के रूप में देखा जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत करती हैं और पवित्रता की प्रतीक के रूप में धार्मिक क्रियाओं का पालन करती हैं। इस व्रत का उद्देश्य पुण्य प्राप्त करना और ऋषियों के प्रति सम्मान प्रकट करना होता है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं उपवासी रहती हैं और पुरानी गलती या पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करती हैं।
ऋषि पंचमी हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन यानि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि लोग जन्म-मरण से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करते है। ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर 2024 रविवार को मनाया जाएगा। कहा जाता है कि यदि महिलाएं ऋषि पंचमी व्रत के दौरान गंगा स्नान करें तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
ऋषि पंचमी व्रत का संबंध पवित्रता, तपस्या, और ऋषियों के प्रति सम्मान से है। इसे श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा पालन किया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पुराने पापों से मुक्ति पाना और ऋषियों के प्रति आभार व्यक्त करना है।
कहानी के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। व्रत के दौरान विशेष रूप से सप्तऋषियों की पूजा की जाती है और अपनी पुरानी गलतियों या पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना की जाती है। इस दिन उपवासी रहना और केवल फल तथा दूध का सेवन करना इस व्रत की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11.03 – दोपहर 01.34
पूजा करने की विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें।
- पूजा करने के स्थान को स्वच्छ और पवित्र बनाएं। वहां एक सफेद वस्त्र बिछाएं और पूजा सामग्री रखें।
- इस दिन विशेष रूप से सप्तऋषियों की पूजा की जाती है। उनके चित्र या मूर्तियों को पूजा स्थल पर रखें।
- ऋषियों को फूल, अक्षत, और दीपक अर्पित करें। उनके सामने कुमकुम, चंदन और धूप लगाएं।
- इस दिन व्रत की कथा सुनें या पढ़ें, जो कि ऋषि पंचमी की महिमा और महत्व को बताती है।
- व्रत के दिन अन्न का सेवन न करके, केवल फल और दूध का सेवन करें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें।
- अपने परिवार और सभी जीवों के सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें और अपने पापों की क्षमा के लिए प्रार्थना करें।
आपको बता दें कि ऋषि पंचमी व्रत का संबंध महिलाओं के मासिक धर्म से भी जुड़ा है। आमतौर पर हिंदू धर्म में महावारी के दौरान धार्मिक कार्य करने से मना किया जाता है। लेकिन मान्यता है कि अगर महिलाओं से महावारी के समय धर्म से जुड़े कार्य हो जाएं या अनजाने में कोई गलती हो जाए तो ऋषि पंचमी व्रत कर सप्त ऋषि की पूजा करने उन दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।