उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती मामलें में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। जिसमें यूपी में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की नई मेरिट लिस्ट जारी करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सियासत शुरू हो गई है। इसी बीच BSP चीफ़ मायावती की प्रतिक्रिया सामने आई है उन्होंने कहा कि ‘यूपी. शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, सरकार ईमानदारी से रुख अपनाए जिससे किसी के साथ नाईन्साफी ना हो।
BSP चीफ़ मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, उप्र शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक हक जरूर मिलना चाहिए। साथ ही, सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रूख अपनाए, ताकि इनके साथ कोई भी नाइन्साफी ना हो। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार द्वारा जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी सहायक शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर भी रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उप्र बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए। उच्च न्यायालय ने अगस्त में राज्य सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले साल 13 मार्च के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली महेंद्र पाल और अन्य द्वारा दायर 90 विशेष अपीलों का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया था।