गणेश चतुर्थी, जिसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो भगवान गणेश की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार भाद्रपद माह की चौथी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस अवसर पर भक्त गणेश की मूर्तियों की स्थापना करते हैं, पूजा करते हैं और उत्सव मनाते हैं। यह त्यौहार गणेश के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है और इसके दौरान बहुत सारे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को समृद्धि, बुद्धि, और भाग्य का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन में हर बाधा और विघ्न दूर होते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान, गणेश की मूर्तियाँ घरों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित की जाती हैं। इस दिन भक्त विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करते हैं, भजन कीर्तन करते हैं और भव्य उत्सव मनाते हैं। गणेश चतुर्थी के अंत में, गणेश की मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है, जो “विसर्जन” के नाम से जाना जाता है, और यह विश्वास किया जाता है कि भगवान गणेश इस दौरान अपनी भक्तों की सभी समस्याओं को दूर कर देते हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन घर पर मूर्ति लाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
- गणेश जी की खड़ी प्रतिमा नही लानी चाहिए। सिर्फ गणेश चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि बाकी दिनों में भी गणेश जी की खड़ी प्रतिमा घर में नहीं लानी चाहिए।
- गणेश जी की जिस प्रतिमा में उनकी भौहें उठी हुई होती हैं ऐसी प्रतिमा भी घर नहीं लानी चाहिए। ऐसी मूर्ति उनके क्रोधी स्वरूप को दर्शाती है।
- घर की उत्तर दिशा या उत्तर पूर्व दिशा में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए।
- गणेश जी की मूर्ति के हाथ में जनेऊ हो और साथ में चूहा भी होना आवश्यक है।
गणेश मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी 7 सिंतबर को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट तक है। सुबह 11 बजकर 03 मिनट से कर सकते हैं तो वहीं मुहूर्त का समापन दोपहर में 1 बजकर 34 मिनट पर होगा।
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