आज देश भर में करवा चौथ घूमधाम से मनाया जा रहा है। करवा चौथ के मौके पर पति और पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। सदियों से यह प्रथा चली आ रही है कि पत्नी अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं। भारत में विशेष रूप से हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस व्रत को सही तरीके से न करना इसे अधूरा मानते हैं।
इस दिन को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिनके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। करवा चौथ सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व पर सुहागिन स्त्रियाँ पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निराहार रहकर चन्द्रोदय इन्तजार करती हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद भोजन करती हैं।
इस बार करवा चौथ पर यदि आप भी व्रत रख रहे हैं, तो इन दो महत्वपूर्ण कामों को न भूलें, ताकि आपका व्रत संपूर्ण और फलदायी हो। सही तरीके से व्रत करने से न सिर्फ धार्मिक मान्यता की सिद्धि होती है, बल्कि आपके जीवन में भी सुख-शांति का वास होता है, तो आइए जानते हैं, वो दो विशेष काम जिनके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा रहेगा।
सूर्योदय से जल का अर्पण
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले एक विशेष अनुष्ठान करना बेहद आवश्यक है। महिलाओं को इस दिन तिल और जल का अर्पण सूर्य देवता को करना चाहिए। इसे पारंपरिक रूप से व्रत को संपूर्ण और फलदायी बनाने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। अगर यह काम ना किया जाए, तो व्रत अधूरा हो सकता है।
चाँद देखकर व्रत खोलना
करवा चौथके दिन व्रति महिलाओं को चंद्रमा के दर्शन करना और फिर उन्हें देखकर व्रत खोलना अनिवार्य है। चंद्रमा के दर्शन करने के बाद महिलाएं पूजा करती हैं और उसके बाद पानी पीकर व्रत खोलती हैं। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसे निभाना बेहद जरूरी होता है। चंद्रमा को देखे बिना व्रत खोलना व्रति के लिए अशुभ माना जाता है और इससे व्रत अधूरा माना जाएगा।
करवाचौथ व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को 6 बजकर 47 मिनट से चतुर्थी तिथि लगेगी और 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 18 मिनट तक।
चाँद निकलने का समय
करवाचौथ के दिन रात में 7 बजकर 56 मिनट पर चंद्रोदय हो जाएगा। इसके बाद धीरे धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों में चंद्र देव के दर्शन होंगे।