लखनऊ । विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा के तत्वाधान में स्वर्गीय पिता श्री ताराचंद शर्मा जी, स्वर्गीय माता श्री विद्या देवी जी एवं भाई श्री नवीन शर्मा जी की आत्मा की शांति एवं अपने समस्त पितरों की आत्मा की शांति व उनके तर्पण हेतु श्री राजीव शर्मा जी [डिप्टी डायरेक्टर मंडी परिषद, लखनऊ] ने अपने पूरे परिवार के साथ प्रसादम सेवा के लोहिया प्रांगण में शुक्रवार को कैंसर एवं असाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों के निशक्त तीमारदारों को भरपेट स्वादिष्ट भोजन कराकर अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित सामाजिक एवं नैतिक व्यवहार के मापदंडों को अपने जीवन में अपनाने का वचन लेते हुए सेवा मार्ग पर अपने-आप को अग्रसरित किया।
मित्रों, हम सौभाग्यशाली हैं कि हमे भगवान ने नि:शक्त तीमारदारों की सेवा के लिए सक्षम बनाया। हमे विश्वास है कि नर सेवा नारायण सेवा के लिए हमने जिन लोगों को भोजन प्रसाद वितरण किया है , इसी में से कोई न कोई परमात्मा होगा जो हम सबका कल्याण करेंगे । क्योकि – अन्नं ब्रह्मा रसो विष्णुर्भोक्ता देवो महेश्वरः। अर्थात अन्न ब्रह्म है, रस विष्णु है और खाने वाले महेश्वर हैं।
फूडमैन विशाल सिंह ने विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से श्री राजीव शर्मा जी के समस्त पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित की । फूडमैन विशाल सिंह ने कहा कि भाइयों , जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं ,इसलिए प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में श्री राजीव शर्मा जी ने पूरे परिवार के साथ प्रतिभाग करते हुए गरीब , असह्य , भूख से तडफते और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है , इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हू कि आपका पूरा परिवार हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे , आप सब इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करे । यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है।
सेवा धर्म ही अध्यात्म का प्रतिफल है। परमार्थ पथ पर अग्रसर होने वाले को सेवा-धर्म अपनाना होता है। जिसके हृदय में दया, करुणा, प्रेम और उदारता है वही सच्चा अध्यात्मवादी है। इन सद्गुणों को- दिव्य विभूतियों को- जीवन क्रम में समाविष्ट करने के लिए सेवा धर्म अपनाने के अतिरिक्त और कोई मार्ग नहीं।
[फ़ूडमैन विशाल सिंह]