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उर्दू साहित्य के मशहूर शायर मुन्नवर राना लखनऊ में सुपुर्दे-ख़ाक

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  • उर्दू साहित्य के मशहूर शायर मुन्नवर राना का जन्म 26नवंबर 1952 को रायबरेली के किला बाज़ार में हुआ था।

लखनऊ। मशहूर शायर मुन्नवर राना की रविवार को देर रात लगभग 11 बजे लखनऊ के सपीजीआई में निधन हो गया और उन्हें सोमवार को लखनऊ के ऐशबाग के कब्रिस्तान में सुपुर्दे-ख़ाक कर दिया गया। इससे उनका अपनी जन्मभूमि रायबरेली से जुड़ा उनका अटूट नाता भी छूट गया,जिससे वह बेइंतहा लगाव रखते थे। इसके साथ ही रह गई उनकी वह अधूरी इच्छा जिसकी चर्चा गाहे-बगाहे वह किया करते थे। मुन्नवर राना को अपनी जन्मभूमि रायबरेली से बेहद प्यार था। कई मौकों पर उन्होंने कहा था कि मरने के बाद उन्हें उनकी जन्मभूमि रायबरेली में दफ़न किया जाय।


2019 में उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि रायबरेली उनकी जन्मभूमि है और वह चाहते हैं कि उनको मरने के बाद यहीं सुपुर्दे-ख़ाक किया जाय और उन्हें रायबरेली की मिट्टी नसीब हो,क्योंकि वह अपने शहर की यादों को मरने के बाद भी साथ ले जाना चाहते हैं। वह कहते थे उन्हें बहुत कुछ मिला, लेकिन अपने शहर रायबरेली से इश्क है। हालांकि परिस्थिति ऐसी बनी की उनकी यह इच्छा अधूरी ही रह गई और लखनऊ में ही उनको सुपुर्दे-ख़ाक किया गया। रायबरेली में उनका अंतिम संस्कार न करने के पीछे पारिवारिक विवाद को अहम कारण माना जा रहा है।


उर्दू साहित्य के मशहूर शायर मुन्नवर राना का जन्म 26नवंबर 1952 को रायबरेली के किला बाज़ार में हुआ था। बचपन में ही वह पिता अरमान राना मां आयशा खातून के साथ कोलकाता चले गए और वहीं पढ़ाई लिखाई के साथ पिता के ट्रांसपोर्ट कारोबार को बढ़ाया। बावजूद इसके उनका रायबरेली आना जाना लगा रहा। पारिवारिक कार्यक्रमों से लेकर कई मौकों पर उनकी मौजूदगी रहती थी। इसके पहले इनके छोटे भाई शकील राना की मौत हो चुकी है।विगत दो वर्षों में मुन्नवर राना भाइयों के आपसी विवाद में टूट गए थे।


संपत्ति को लेकर उनका अपने छोटे भाई राफे राना से बड़ा विवाद हुआ।जिसमें उनके बेटे तरबेज ने चाचा को फंसाने की साज़िश रची थी। इस मामले में पुलिस कार्रवाई को लेकर मुन्नवर राना निराश थे और योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।विवादों से घिरे रहने वाले इस अज़ीम शायर का रायबरेली से नाता भी पारिवारिक विवाद से छूटा,लेकिन अपनी जन्मभूमि को हमेशा अपने दिल में रखने वाले मुन्नवर राना के चाहने वाले रायबरेली के निवासी दुःखी हैं और निधन की सूचना मिलते ही उनके आवास पर लोगों का तांता लग गया। हर कोई अपने बीच के उस शायर को याद कर रहा था जिसने उसे हमेशा के लिये अलविदा कह दिया है।

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