लखनऊ । आज विजय श्री फाउन्डेशन(प्रसादम सेवा ) में सेवा भाव और कर्मयोग में अपने आत्मा को समर्पित करने वाले मृदुल हृदय व्यक्तित्व के धनी श्री थाईलैंड सिटीजन पार्टी के युवा नेता निशांत चंद जी ने अपने पूरे परिवार के साथ जन्मदिन के मंगल वेला पर लोहिया हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज , लखनऊ में सैकडों कैंसर पीड़ित मरीजों के निःशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर अपने जन्मदिन पर सेवारूपी मंगलकारी तोहफा प्रदान किया ।
साथियों, सेवा धर्म की पावन मन्दाकिनी में डुबकी लगाते हुए, आप लोगों ने दरिद्र नारायण की सेवा के माध्यम से नर सेवा ही नारायण सेवा है, के ध्येय वाक्य को चरितार्थ किया। इस अवसर पर आज जन्मदिन के तोहफे पर ठाकुर विनीत बिसेन जी ने सेवा की नीव रख जन्मदिन का तोहफा प्रदान किया।
साथियों , थाईलैंड सिटीजन पार्टी के युवा नेता निशांत चंद जी सेवा विचार व्यक्तित्व के धनी हैं,और विजय श्री फाउंडेशन के संरक्षक के रूप में अपना आशीर्वाद प्रदान करते रहते हैं ।आप जरूरतमंद लोगों की हर मुश्किल घड़ी में मरहम लगाने का सार्थक प्रयास करते रहते हैं और मां अन्नपूर्णा की कृपा से आगे भी सेवा की ज्योति जलाते रहेंगे। क्योंकि यह कहा गया है कि – परहित सरिस धर्म नहि भाई , पर पीड़ा सम नहि अधमाई ।
थाईलैंड सिटीजन पार्टी के युवा नेता निशांत चंद जी ने कहा कि मनुष्य सहित समस्त चराचर जगत के पालक और रक्षक ईश्वर हैं। मनुष्य तथा अन्य जीवों की सेवा करने से हम ईश्वरीय विधान की अनुपालना में योगदान देते हैं। इसीलिए सेवा को सभी पंथों में पुण्य कर्म माना जाता है। सेवा के लिए परहित का भाव अनिवार्य है।
सेवा वही सार्थक होगी, जो बिना किसी शर्त, नि:स्वार्थ भाव से संपन्न की जाए। धन-संपदा, पद और प्रसिद्धि के उद्देश्य से संपादित कार्य सेवा नहीं, अपितु सेवा का आडंबर है।निष्ठा से, स्व-अर्जित में से एक अंश जरूरतमंद को देना सेवा का मुख्य घटक है। वही तीर्थाटन फलीभूत होता है जिस पर व्यय भी अपनी शुद्ध कमाई से किया जाए, अनैतिक आय या अनुदान से नहीं। सेवाकर्मी श्रद्धा और सामथ्र्य अनुसार दूसरे व्यक्ति या संस्था को उसकी आवश्यकता या अपेक्षा के अनुसार धन, वस्तु, सुविधा या सेवा प्रदान करते हैं।
वहीं, ठाकुर विनीत बिसेन जी ने कहा कि असमर्थ, वंचित, निर्धन की सेवा धन, वस्त्र आदि देकर तथा मान्य व्यक्ति को उसके उपयोग की वस्तु प्रदान कर की जा सकती है। बेसहारा बच्चों का संभरण, उनकी शिक्षा या चिकित्सा में सहायता उच्चस्तरीय सेवा है। वृद्धजनों की सेवा इतनी भर है कि उन्हें स्वेच्छा से साथ रखें, उनका खानपान सुनिश्चित हो, उनका अपमान या उपेक्षा न हो।
सेवा की प्रक्रिया में सेवाभोगी और उससे अधिक सेवादार लाभान्वित होते हैं। पहले पक्ष को उस आवश्यक सामग्री या सेवा की आपूर्ति होती है जो दूसरे पक्ष के पास आवश्यकता से अतिरिक्त है। निम्न सोच के व्यक्ति को सेवा की नहीं सूझती, वह इसे तुच्छ समझता है।
कार्य कोई भी छोटा नहीं होता। गुरुद्वारे या मंदिर में दूसरों के जूते चमकाने, प्रसाद खिलाने या बर्तन-भांडे साफ करने से किसी का दर्जा नहीं गिरता। सेवा की आड़ में कुछ कारोबारी ‘सेवा का मौका दें’ आदि घोषणाओं से घिनौने व्यापारिक या हित साधते दिखते हैं। सेवा एक पुनीत, मानवीय कृत्य है। मनोयोग से सेवा करने वाला सद्गति को प्राप्त होता है।
फ़ूडमैन विशाल सिंह का मानना है कि, परमात्मा ने हमें इस धरती पर इसीलिए भेजा हैं ताकि दान, धर्म, पुण्य करके हम गरीबों, असहाय लोगों की मदद कर सकें। जन्मदिन’ तो हमारे लिए एक सुनहरा अवसर होता हैं इस मौके पर , यदि हम किसी भूखे का पेट भरते हैं तो उसकी आत्मा तो तृप्त होती हैं साथ ही परमात्मा का भी आर्शीवाद मिलता हैं। क्योंकि जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं इसलिए जन्मदिन के इस खास मौके पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि कोई भूखा न रहें।
विजय श्री फाउंडेशन के संस्थापक फूडमैन विशाल सिंह ने थाईलैंड सिटीजन पार्टी के युवा नेता निशांत चंद जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विनम्रता मनुष्य के व्यवहार को उजागर करती है।
जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं ,इसलिए भोजन प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में श्री थाईलैंड सिटीजन पार्टी के युवा नेता निशांत चंद जी ने प्रतिभाग करते हुए गरीब , असह्य , भूख से तडफते और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है ।
इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हू कि आप और आपका परिवार हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे , आप इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करे । यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है ।