संस्कृत के प्रति रक्षामंत्री का उत्साह और समर्थन : जितेन्द्र प्रताप सिंह

लखनऊ । संस्कृत भारतीन्यास अवधप्रांत के अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बुधवार को भारत सरकार के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से शिष्टाचार भेंट की। इस महत्वपूर्ण मुलाकात में उन्होंने रक्षामंत्री को अवधप्रांत के द्वारा संस्कृत और सनातन संस्कृति के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से अवगत कराया।

भेंट के दौरान, जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि संस्कृत भारतीन्यास ने संस्कृत सप्ताह के दौरान रक्षामंत्री के द्वारा दिए गए संदेश को सम्पूर्ण राष्ट्र में प्रचारित किया। रक्षामंत्री द्वारा संस्कृत के महत्व और उसके प्रचार-प्रसार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि यह संदेश राष्ट्र को संस्कृत के प्रति जागरूक करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।

रक्षामंत्री ने इस अवसर पर संस्कृत को राष्ट्र का गौरव और ज्ञान का भंडार बताते हुए कहा कि यह भाषा न केवल समृद्ध साहित्य और ज्ञान का स्रोत है, बल्कि मानवता, जीव-जंतु, और प्रकृति के बीच समन्वय और संस्कृति संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत का उत्तरोत्तर अध्यन और शिक्षण सभी के हित में है और इससे समाज को लाभ हो सकता है।

रक्षामंत्री ने अपनी बातों में यह भी स्पष्ट किया कि संस्कृत का अध्ययन और प्रशिक्षण केवल एक शैक्षिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक दायित्व भी है। संस्कृत भारतीय संस्कृति के मूल में है, और इसे संरक्षित करने से न केवल भारतीय समाज का उत्थान होगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक सशक्त संदेश जाएगा।

न्यास अध्यक्ष का आभार और धन्यवाद

इस शिष्टाचार भेंट के अंत में, जितेन्द्र प्रताप सिंह ने रक्षामंत्री को उनके समय और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने रक्षामंत्री की संस्कृत के प्रति रुचि और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और इस दिशा में एक साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की।

जितेन्द्र प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि यह भेंट उनके लिए प्रेरणास्त्रोत है और वे भविष्य में इस दिशा में और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने रक्षामंत्री को यह संदेश दिया कि संस्कृत भारतीन्यास अपने कार्यों के माध्यम से संस्कृत को आगे बढ़ाने और उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह से समर्पित है।

इस मुलाकात ने यह साबित किया कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पहचान का अभिन्न अंग है। रक्षामंत्री और श्री जितेन्द्र प्रताप सिंह की यह भेंट संस्कृत के प्रचार और प्रसार में एक नई दिशा को जन्म देने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। संस्कृतभारतीन्यास अवधप्रांत के इस प्रयास से न केवल संस्कृत की रक्षा होगी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने में भी सहायक होगा।

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