प्रदेश में कई बार विधायक सांसद सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रदेश में अफसरशाही की शिकायत करते रहते हैं, सीएम संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही के निर्देश देते और कार्यवाई भी करते हैं । जिसको लेकर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दलों के द्वारा भी अपना अफसरशाही पर मुखर विरोध जताया है,लेकिन सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा ।
ताजा मामला सिद्धार्थनगर जिले की शोहरतगढ़ विधानसभा से अपना दल एस के विधायक विनय वर्मा से जुड़ा हुआ है….विधायक विनय वर्मा ने दिनांक 07.09.2024 को यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को लिखे पत्र में बताया गया कि क्षेत्र में हो रहे अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पुलिस अधीक्षक (एसपी) के द्वारा आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि विधायक विनय वर्मा ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्राची सिंह का नाम पत्र में नहीं लिखा …. पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह के रवैये विधायक काफी खफा होकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर शिकायत भी कर कर चुके हैं लेकिन प्राची सिंह पर कोई कार्यवाही न होने से वह अब धरना प्रदर्शन करने को बाध्य कह कर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र के माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
अपना दल एस विधायक विनय वर्मा ने पत्र में लिखा की पुलिस अधीक्षक (एसपी) के द्वारा विधानसभा क्षेत्र के सभी थानाध्यक्षों के यह निर्देशित किया गया है कि “विधायक की कोई बात नहीं सुननी है और न ही कोई बात माननी है” , उन्होने आगे लिखा कि “पुलिस अधीक्षक द्वारा उक्त कृत्य किसके इशारे पर किया जा रहा है ? यह समझ से परे है” । विधायक विनय वर्मा ने दर्द झलकाते हुए लिखा कि “ऐसे में जनता के प्रति फर्ज नहीं निभा पा रहा हूं”
इस मामले को लेकर विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से कहा कि अगर न्याय नहीं मिलता है दिनांक 10.09.2024 को नगर पालिका परिषद सिद्धार्थनगर के सामने महात्मा गांधी स्थल पर धरना देने के लिए बाध्य हो जाऊंगा, मेरा धरना शांति पूर्णरूप से होगा
अपना दल एस ने अपने विधायक से क्यों किया किनारा ?
आज दिनांक 10.09.2024 को अपना दल कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राज कुमार पाल ने एक पत्र जारी करते हुए अपना पार्टी के विधायक विनय वर्मा के द्वारा बुलाए गए धरना प्रदर्शन के खिलाफ फरमान की सोशल मीडिया पर डुग्गी पिटवाई है… कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राज कुमार पाल ने पत्र में लिखा है कि “यह धरना प्रदर्शन पार्टी या मेरी अनुमति और स्वीकृति के बिना आयोजित किया गया है, अत: पार्टी के किसी पदाधिकारी या सदस्य को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं है”।
पार्टी अनुशासन और नीति के तहत कार्य करती है और यह धरना पार्टी की आधिकारिक गतिविधि नहीं है, इन निर्देशों का पालन करें अनुशासन बनाए रखें, इस संदेश को कार्यकर्ताओं तक पहुंचाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी अनुशासनहीनता न हो।
क्या दलित हत्या का मामला अपना दल एस विधायक विनय वर्मा को पड़ा भारी ?
भारत रत्न बाबा साहब और संविधान और साथ खासकर ओबीसी और एससी, एसटी की राजनीति करने वाली अपना दल एस को दलित की हत्या से इतना गुरेज क्यों हुआ कि अपने विधायक की शिकायत को पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सुनकर भी अनसुना कर दिया ?
सदन के अध्यक्ष से शिकायत करने के बावजूद विशेषाधिकार हनन जैसे मामले पर कार्यवाही नहीं होने पर धरने की बात पर पार्टी का किनारा करना शोहरतगढ़ विधानसभा वासियों को समझ नहीं आ रहा… या लोकसभा चुनाव में छिटके एससी एसटी वोट के कारण दलितों के मुद्दें को उठाना अब अपना दल एस को ठीक नहीं लग रहा ?
फिलहाल मामला अपना दल एस का है…..पार्टी अध्यक्ष की अपनी निति और निर्देश हैं, जिसका पालन करना सभी कार्यकर्ताओं का राजनीतिक धर्म और कर्म भी है। पार्टी अध्यक्ष का अपना विशेषाधिकार है कि किस मुद्दे पर कब राजनीतिक लाभ लेना है और कब पलटी मारनी है।
अपना दल एस विधायक विनय वर्मा का मूल मुद्दा और नाराजगी .
विधायक ने पत्र में लिखा कि थाना ढेबरुआ के अंतर्गत अवैध बालू कार्य में लगे ट्रैक्टर के पलटने एवं आग लगाने से दलित चालक मायाराम की मृत्यु हो गयी थी , इस प्रकरण में मेरे काफी प्रयासों के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। जब इस मामले में विधायक विनय वर्मा ने शोहरतगढ़ थाना प्रभारी निरीक्षक से पैरवी की तो विधायक के साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए थाना प्रभारी निरीक्षक ने उनके विशेषाधिकार हनन का कार्य किया। जिसकी शिकायत विधायक ने पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह से लेकिन पुलिस अधीक्षक ने आरोपी पर कोई कार्यवाही नहीं की….. जबकि विधायक ने बाताया कि मेरा विधानसभा क्षेत्र नेपाल राष्ट्र सीमा पर है, यहां हो रही तस्करी को लेकर पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह से शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई .
सीएम योगी से मिले विधायक विनय वर्मा, बताया पूरा मामला, लेकिन कुछ नहीं हुआ !
अपना दल एस विधायक विनय वर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि मैंने दिनांक 05.07.2024 को आयुक्त सभागार बस्ती में आयोजित अपराध एवं कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी इस प्रकरण पर बात रखी थी, परंतु पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थनगर ने पुलिस के उच्चाधिकारियों के माध्यम से सीएम को सही जानकारी न देकर सीएम को भ्रमित किया गया… इस मामले में कार्यवाही की जा चुकी है और आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है (ऐसा सीएम योगी का बताया गया), जबकि हकीकत यह है कि कोई कार्यवाही नहीं हुई है।