एक प्रेरणादायक रियल स्टोरी भूखे बच्चे की.. जो अब विश्व में फ़ूडमैन के नाम से जाना जा रहा है

लखनऊ । बड़े-बड़े सपने देखते हुए कभी-कभी जेहन में ख़्याल आता है कि आर्थिक तंगी और ग़रीबी की मार झेल रहे लोगों की आंखों में किस तरह के सपने पलते होंगे। फिर इसी बीच ये भी ध्यान आता है कि खाली पेट सपने देखे नहीं जाते, क्योंकि भूख से कचोटता पेट तो नींद तक नहीं आने देता है।सबसे दुःख की बात है कि भारत में आज भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा भूख से दम तोड़ देता है।

साल 2019 के वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) के मुताबिक़, भारत 117 देशों की लिस्ट में 102वें स्थान पर है। हमारे देश में कई लोग आधे पेट और कइयों को तो खाली पेट ही सोने को मजबूर हैं। ऐसे में, समाज में विशाल सिंह फ़ूडमैन जैसे नेक इंसान हैं, जो प्रतिदिन हजारों लोगों का पेट भरने के लिए 17 वर्षों से विजय श्री फाउंडेशन प्रसादम सेवा के जरिये निरंतर काम कर रहे हैं। इसी के चलते आज देश-विदेश में उनकी कई वर्षों से हंगर फ्री वर्ल्ड बनाने की मुहिम जारी है, जिसको लेकर कई देशों ने फूडमैन विशाल सिंह की खूब तारीफ करते हुए उन्हें इस मुहिम को सफल बनाने और जमीनी स्तर पर भूखों की सेवा के लिए बैंकॉक स्थित हैप्पी केयर ग्लोव्स कोऑपरेटिव लिमिटेड संस्था ने 25 से 26 जुलाई को कई देशों के प्रतिनिधि हमारे बैनर तले बैठेंगे, जहां भारत के फ़ूडमैन विशाल सिंह विश्व को भूख मुक्त करने का संकल्प लेंगेI

कभी भूखे पेट रोड के किनारे सोने वाला बच्चा आज विदेशों में भी बढ़ा रहा देश का मान
कहानी थोड़ी फ़िल्मी है लेकिन है सौ फीसदी सच्ची है। यह भारत का सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी से निकलकर एक बच्चा जिसे जन्म से ही अनेकों कठिनाइयों से जूझना पड़ा, समाज और परिवार की उपेक्षा सहनी पड़ी, कई दिनों तक रोड के किनारे खुली छत के नीचे जीवन यापन का आघात झेलना पड़ा,फेंका हुआ खाना खाना पड़ा, परिवार वालों ने पागल घोषित कर दिया , साइकिल स्टैंड और चाय की दुकानों पर काम करना पड़ा . एक समय ऐसा भी आया वह एक बार नहीं बल्कि तीन बार तीन बार डिप्रेशन का शिकार हो गया , इसके बाद कोरोना के चपेट में भी आ गया, लेकिन आज वही बच्चा विशाल सिंह फ़ूडमैन के नाम से विश्व को भूख मुक्त करने के लिए भारत का प्रतिनिधि करेगा और अध्यक्ष के रूप में हंगर फ्री वर्ल्ड की अध्यक्षता भी करगा । इस मिशन के माध्यम से हर साल हंगर फ्री वर्ल्ड बैनर के तले अलग-अलग देश में डेलिगेशन जाकर हंगर इंडेक्स में नीचे गिरने वाले देशों में हर वर्ष यह मीटिंग होगी और कैसे देश को भूख मुक्त किया जा सकता है इस पर चर्चा विचार विमर्श गोष्ठी एवं कार्य किए जायेंगे ।

विश्व पटल पर प्रतिनिधि करेंगे भारत के फ़ूडमैन
यह हम देशवाशियों के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है, भारत देश जहां देश में कोई न रहे भूखा की पहल पर देश के असमर्थ लोगों को सरकार राशन उपलब्ध करा रही है तो वहीं बैंकॉक में फूडमैन विशाल सिंह हंगर फ्री वर्ल्ड मिशन बनाने के लिए बड़े आयोजन में शामिल होंगे, जहां विश्व के तमाम देशों के प्रमुख समाजसेवी और सामाजिक कार्य करने वाली महान हस्तियां जुटेंगी। इस दौरान विश्व को भूख मुक्त करने के लिए फ़ूडमैन विशाल सिंह के प्रयासों पर अग्रसर होंगे। और जो भी देश ग्लोवर हंगर इंडेक्स में नीचे आयेंगे उनकी आगे बढाने का काम करेंगे । यह भारत के लिए सौभाग्य का पल है कि विश्व पटल फ़ूडमैन विशाल सिंह भारत कि ओर से प्रतिनिधि करेंगे ।

काशी विश्वनाथ मंदिर के माध्यम से प्रधानमंत्री की मुहिम को निभा रहे है फ़ूडमैन
विशाल कहते हैं कि, करीब 17 वर्ष पहले एक समय वह भी आया था था जब बीमार पिता का इलाज कराने वे गुरूग्राम गए थे. वहां उन्हें कई दिन भूखा रहना पड़ा. वह फेंका हुआ भोजन करते थे। वहीं से जिंदगी में गांठ बांध ली थी कि जब तक यह शरीर रहेगा किसी जरूरतमंद-भूखे व्यक्ति को भूखा नहीं सोना पड़ेगा।” वर्तमान समय में विशाल सिंह काशी विश्वनाथ मंदिर के माध्यम से प्रधानमंत्री जी की मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाने की मुहिम में भी फूडमैन विशाल सिंह अहम भूमिका निभा रहे हैं।

फूडमैन ने 2007 में पिता के नाम शुरू की विजय श्री फाउन्डेशन ( प्रसादम सेवा)
विशाल बताते हैं कि ‘हमें जब आर्थिक क्षेत्र में सफलता मिली, तो हमें लगा कि अब समय आ गया है कि अपने संकल्प को भी पूरा किया जाए। इस तरह 2007 में मैंने इस मिशन की शुरुआत की। पहले हम मेडिकल कॉलेज के बाहर जरूरतमंद लोगों को भोजन बांटा करते थे. हमारी सेवा भावना को देखते हुए चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन में 2015 में हमें न्यूरोलॉजी विभाग के सामने जगह उपलब्ध कराई और हमने यहां ‘प्रसादम् सेवा’ के नाम से सेवा के इस मंदिर का शुभारंभ किया।

रोजगार छोड़कर सेवा को बनाया जीवन का संकल्प
फ़ूड मैन विशाल सिंह ने बताया कि मैंने रोजगार छोड़कर सेवा को ही अपने जीवन का संकल्प बनाने का निश्चय किया, तो सबसे पहले हमारे परिवार के लोगों ने ही विरोध शुरू कर दिया। मुझे पागल कहा गया। अपने संघर्ष की कहानी बताते हुए विशाल कई बार भावुक हुए। वह कहते हैं कि जब आपके किसी काम के विरोधी होते हैं, तो कई समर्थन करने वाले भी मिल जाते हैं। वह कहते हैं कि हमारी सेवा भावना को देखते हुए चिकित्सा विश्वविद्यालय के वीसी और मेरे बड़े भाई जैसे राजीव सिंह ने इस लक्ष्य को पाने में मेरी पूरी मदद की। धीरे-धीरे यह सेवा का मंदिर फलता-फूलता गया।

गरीबों के साथ जन्मदिन और शादी की वर्षगांठ मनाने आते हैं लोग
विशाल सिंह कहते हैं ‘जब आप सेवा के मार्ग में जाते हैं, तो आपके पास कितना ही धन क्यों न हो, वह छोटी राशि ही रहती है। जब पैसे कम पड़ने लगे, तो हमने लोगों से आह्वान किया कि वह यहां आकर अपना जन्मदिन मनाएं और गरीबों को भोजन कराने में हमारे सहयोगी बनें। धीरे-धीरे लोग हमसे जुड़ने लगे. कोई जन्मदिन मनाने के बहाने आता, तो कोई विवाह की वर्षगांठ की खुशियां लोगों से साझा करता।

कोविड काल में हुईं माँ की मौत, खुद चपेट में होने के बाद भी फ़ूडमैन ने नहीं छोड़ा सेवाभाव
कोविड के दौर में अपनी मां को खोने वाले और खुद कोरोना वायरस से पीड़ित होने पर भी विशाल सिंह ने एक पल के लिए भी सेवा भाव नहीं छोड़ा। वह बताते हैं ‘बहुत मुश्किल दौर था वह। हमें लगा कि यदि हम जैसे लोग भी आगे नहीं आएंगे, तो असहाय और गरीबों का क्या होगा? यही सोचकर सबसे पहले हम लोगों ने प्रवासी मजदूरों की सेवा शुरू की। कानपुर के तत्कालीन कमिश्नर राजशेखर की पहल पर हमने रोडवेज के सहयोग से एक बड़ा सेवा का आयाम स्थापित किया। राहत और आपदा आयोग के लोगों का भी मेरे पास फोन आया. हम लोगों ने उन्हें भी साढ़े सात लाख भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए। पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने भी बहुत सहयोग किया। हमने प्रदेश सरकार की ओर से डीआरडीओ और हज हाउस के कोविड सेंटर्स की जिम्मेदारी भी संभाली. वहां हजारों लोगों को भोजन कराया. लोगों की सेवा भी हमारी ऊर्जा का स्रोत बनती है।

जब फूडमैन कोविड संक्रमण काल में बने रेस्क्यू मैन
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान जब सब जगह त्राहिमाम मचा था, लोगों अपने परिवारजन को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, दवाइयां इंजेक्शन और ऑक्सीजन रेगुलेटर जैसी आवश्यक वस्तुएं खरीदने हेतु बाजार भटक रहे थे, ऐसे में एक बार फिर विशाल आगे आए और जरूरतमंद लोगों की मदद की। उन्होंने लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और जीवन रक्षक दवाइयां लोगों को निशुल्क उपलब्ध कराईं।

डीआरडीओ कोविड-19 और एचएएल हज हाउस कोविड-19 सेंटर में दे रहें सेवा
फूड मैन विशाल सिंह के सेवा कार्यों को देखकर अटल बिहारी वाजपेयी डीआरडीओ कोविड-19 और एचएएल हज हाउस कोविड-19 सेंटर में तीमारदारों और मेडिकल स्टाफ की सेवा करने को कहा गया। उनकी संस्था ने इसकी जिम्मेदारी स्वीकार की और रोज तीन हजार जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। तीमारदार और होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों और मजदूरों को भी भोजन उपलब्ध कराया गया।

17वर्षों से प्रदेश के तीन बड़े अस्पतालों में मुफ्त में खिला रहे है खाना
फ़ूड मैन विशाल सिंह, लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, डॉ राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और बलरामपुर जिला अस्पताल में प्रसादम सेवा के तहत 1200 से अधिक जरूरतमंद मरीजों को प्रतिदिन निशुल्क भोजन मुहैया करा रहे हैं. यह काम वे पिछले 17वर्षों से ज्यादा समय से कर रहे हैं। इसी कारण वह अब फूडमैन विशाल सिंह के नाम से मशहूर भी हो गए हैं। अन्नदान जैसे इस महादान में जुटने की प्रेरणा इन्हें करीब 20 वर्ष पहले मिली थी, जब दिल्ली से सटे गुडग़ांव के अस्पताल में अपने पिता के इलाज के समय इन्हे स्वयं कई रात भूखे पेट गुजारनी पड़ी थी।

तीमारदारों के लिए बनवाए आठ आदर्श रैन बसेरे
विशाल सिंह फ़ूडमैन ने मेडिकल कॉलेज में तीमारदारों के लिए 8 आदर्श स्थाई रैन बसेरे बनाए हैं, जिनमें 650 से अधिक लोग आराम से रहकर अपने परिजनों का इलाज करा रहे हैं. और तो और गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए महानगर में वृद्ध नागरिकों के साथ मिलकर एक छोटा सा स्कूल भी उन्होंने खोला है, जहां बच्चे पढ़ कर अपने परिवार और समाज के बीच गर्व फील कर रहे हैं।

विजय श्री फाउन्डेशन प्रसादम सेवा केंद्र में दिखती है गंगा-जमुना तहजीब
विशाल सिंह कहते हैं ‘आप देख सकते हैं कि एक ही छत के नीचे हर धर्म और जाति के लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। यहां सभी लोग आकर प्रेम से एक-दूसरे के साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं। हमारी विजय श्री फाउंडेशन का प्रयास है कि हम ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद कर पाएं. दूसरों को भोजन कराना पुण्य की फिक्स डिपॉजिट कराने जैसा है। यदि कुछ लोग थोड़ा सा राशन पहुंचाकर गरीबों की सेवा की इस मुहिम से जुड़ना चाहते हैं, तो हम उनका तहे दिल से स्वागत करेंगे. राशन की यह मदद ऑनलाइन भी की जा सकती है। यहां आप अपने परिवार और बच्चों के नाम से भोजन भी करा सकते हैं। यकीन मानिए पुण्य का यह फिक्स डिपॉजिट जन्म जन्मांतर तक हमारे काम आएगा।

पुण्यों का फिक्स डिपोजिट
विशाल सिंह अपने व्यवहारिक जीवन में ज्योतिष विज्ञान पर भी कार्य करते हैं एक हस्तरेखा विशेषज्ञ है कई प्रधानमंत्री को हाथ देखने का उनका सौभाग्य मिला उन्होंने कोटेशन बनाई है जिसको उन्होंने नाम दिया पुण्य का फिक्स डिपाजिट उनका ही कहना है कि जिस प्रकार एचडी फिक्स डिपाजिट इसी जन्म में काम आता है उसी प्रकार पुण्य का फिक्स डिपाजिट यथार्थ एवं परमार्थ को सुधरता है यानी कि इस जन्म और आने वाले जन्म में आपके निकी के कार्यों के माध्यम से आपके परिवार पर आनंद की वर्षा करता है इस विषय को जो भी समझ जाए तो शायद वह इस जीवन को सार्थक कर देगा I

अभी फूडमैन पर एक मूवी बनने के लिए भी प्रस्ताव आया है जिस प्रकार उन पर रियलिटी की स्टोरी
लोगों की प्रेरणा हेतु फूडमैंने एक रियल स्टोरी है जिसमें खुशबू के बच्चे की कहानी जिसने कभी फेंका हुआ खाना खाया और आज अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है लोगों की भूख मिटाने हेतु उसी का नतीजा यह है कि विश्व के एक बड़े प्लेटफार्म पर फूडमैन को विदेश बुलाया जा रहा है और उनके नेतृत्व में हंगर फ्री वर्ल्ड मुहिम का आजाद किया जाएगा और हंगर इंडेक्स में नीचे गिरने वाले देशों में हर वर्ष यह मीटिंग होगी और कैसे देश को भूख मुक्त किया जा सकता है इस पर चर्चा विचार विमर्श गोष्ठी एवं कार्य किए जाएंगे I

जब सरकार से निराश हुए फ़ूडमैंन
विशाल सिंह थोड़ा सा निराश भी है यहां की सरकार और उनके कामकाज के तरीके से कि जब कभी जरूरत होती है तो सरकार के 9 महीने आपको बुलाते हैं और फिर आपको झटक कर बाहर कर देते हैं ऐसे कुछ अधिकारी बहुत कम है जो आपकी सर संभव मदद करते हैं विशाल बताते हैं कि ऐसे पॉजिटिव लोग भी हैं जो आज उनको समझ में संभव मदद करने का प्रयास कर रहे हैं आज कुछ ऐसे आईएएस अधिकारी के साथ-साथ कुछ मानवता के लोग भी हैं जो उनकी संभव मदद कर रहे हैं जो उनका मनोबल है वरना वह कहते कि मैं तो कब का टूट गया था अगर आज यह कुछ लोग मेरे साथ ना खड़े होते तो मैं टूट गया था I

तीन बार हुए डिप्रेशन के शिकार
एक बच्चा जो कभी भूख से लड़ा और एक वक्त बहुत अच्छा बिजनेस एस्टेब्लिश कर लिया और वह एकदम से छोड़कर सन्यास लेता है और अपने घर में जाता है कि मुझे अब इस चमक दमक लड़ाई में नहीं पादना मुझे समाज हेतु मेरे कमिटमेंट को पूरा करना है और सारा काम छोड़ देता है I

सबसे पहले घर वालों ने पागल घोषित कर दिया
दोस्त यार जो अक्सर साथ में दातों में रहते थे उन सब ने भी साथ छोड़कर चले गए धीरे-धीरे कमाई हुई सारी व्यवस्थाएं चूर हो गई इस पुनीत कार्य को आगे बढ़ाने में Iलेकिन विशाल का यह कहना है कि मैं वही हूं जब मेरे पास जीवन में कृपया भी नहीं था परमात्मा की बनाई हुई चीज परमात्मा की चरणों में समर्पित कर दी यह तो मेरा सौभाग्य है Iलोग जहां अपने ऊपर धन को खर्च कर परेशान हो जाते हैं या बीमारी में पैसा खर्च हो जाता है यहां तो लोगों की सेवा में धन खर्च हुआ यह मेरा सौभाग्य है I

कलयुग में बहुत कम लोगों को सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होगा
अगर परमात्मा आपसे खुश है तो वह आपको सेवा के कार्य हेतु प्रेरित करेगा वरना कलयुग रूपी राक्षस आपको सेवा के मार्ग से हटाएगा जी भी लोग पर परमपिता परमात्मा कृपा होगी वह इस मार्ग पर अग्रसर हो सेवा के दीप जलाएगा और यह सौभाग्य का विषय है कि आपने अपने मानव होने का फर्ज अदा किया I अपने अपने सबसे अच्छी योनि में जन्म लिया और उसके बाद भी यदि आप कुछ सार्थक कार्य न कर पाए नर सेवा नारायण सेवा सेवा परमो धर्म विचार को आगे ना बढ़ा पाए तो शायद यह है आपके मानव होने के विचार को सार्थक नहीं करेगी आप मानव तब हैं जब किसी जरूरतमंद के काम आए I जन-जन तक चेतन फैलाने का प्रयास कर रहा हूं अगर पूरे दिन में एक भी व्यक्ति मुझसे कन्वेंस होता है और कुछ मुट्ठी राशन निकालने के विचार पर सहमत होता है तो मेरा पूरा दिन सफल हो जाता हैI

राहत एवं आपदा आयुक्त कार्यालय में पहुंचाएं 750000 लाख से अधिक भोजन पैकेट, मिला आयुष सेवा पदक
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण काल में फूडमैन विशाल सिंह ने सात लाख के अधिक लोगों को भोजन पैकेट, दूध, मट्ठा, मिनरल वाटर, लैया-चना उपलब्ध कराकर लोगों के साथ सरकार का भी दिल जीत लिया।फूडमैन विशाल सिंह के इस कार्य को बड़ी उपलब्धि मानकर आयुष विभाग के निदेशक आइएएस अफसर राजकमल यादव ने फूडमैन विशाल सिंह को उनके सेवा कार्यों की सराहना करते हुए आयुष सेवा पदक एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी कर चुकीं है सम्मानित
वहीं, आप को जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार की संस्था ‘फूड फेडरेशन ऑफ इंडिया’ ने अपनी मुहिम ‘सेव फूड, शेयर फूड, जॉय फूड’ के लिए विशाल को साथ में जोड़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में विशाल ने 7.5 लाख से अधि‍क भोजन के पैकेट जरूरतमंदों और प्रवासी मजदूरों के बीच बांटे गए थे। इसके लिए यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विशाल को 6 नवंबर को राजभवन में सम्मानित किया है।


तीन वर्षों से असहाय और पीड़ितों, शोषितों का मंच बना सेवा पथ मीडिया
फूडमैन विशाल बताते हैं कि समाज और सेवा को समर्पित उनका एक मीडिया संस्थान भी है। जो सेवा पथ मीडिया के नाम से पिछले तीन वर्षों से असहाय और पीड़ितों, शोषितों का मंच बना हुआ है।विशाल अब भारत ही नहीं बल्कि विश्व को भूख से मुक्त करने की मुहिम की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।फूडमैन विशाल सिंह ने हर किसी को आपात स्थिति के लिए अपना पर्सनल नंबर जनसेवा के लिए सुलभ करवा रखा है, जो 24 घंटे निर्बाध रूप से एक ही रिंग में उठता है. प्रत्येक जरूरतमंद की सेवा में हरदम तत्पर विशाल सिंह का नंबर नीचे लिखा है।

‘आइये कोई मजहब ऐसा बनाया जाए जहां कोई न रहे भूखा और बस पुण्य कमाया जाए’..

फूडमैन विशाल सिंह

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