
कानपुर । कानपुर में जिलाधिकारी जेपी सिंह और मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच बढ़ते विवाद ने बड़ा मोड़ ले लिया है। कथित वायरल ऑडियो और प्रशासनिक टकराव के बाद डॉ. नेमी को निलंबित कर दिया गया है। उनकी जगह अब डॉ. उदय नाथ को कानपुर नगर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया है। वे इससे पहले श्रावस्ती के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी पद पर कार्यरत थे।
कानपुर के नए जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने पदभार संभालने करने के बाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति जानने के लिए कई सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। इन निरीक्षणों के दौरान कई गंभीर खामियां सामने आईं, जिनमें प्रमुख रूप से डॉक्टरों और कर्मचारियों की गैरहाजिरी, दवाओं की अनुपलब्धता, खराब साफ-सफाई और रिकॉर्ड में गड़बड़ियां थीं।
विशेष रूप से कांशीराम ट्रामा सेंटर में 100 से अधिक डॉक्टर और कर्मचारी गैरहाजिर मिले, जिसके बाद डीएम ने उनके वेतन काटने के आदेश दिए। इस कार्रवाई के बाद सीएमओ और डीएम के बीच मतभेद और बढ़ गए। सीएमओ हरिदत्त नेमी ने भी पलटवार करते हुए जिला कारागार और अन्य स्वास्थ्य इकाइयों में डॉक्टरों के ताबड़तोड़ तबादले कर दिए। कुछ तबादले वापस भी लेने पड़े। बावजूद इसके, जब सीएमओ से बार-बार सुधारात्मक कार्रवाई करने को कहा गया, तब भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इससे प्रशासनिक संकट और गहराता गया।

इस प्रशासनिक खींचतान का असर सियासी गलियारों में भी देखने को मिला। कानपुर के आधे भाजपा विधायक डीएम के समर्थन में खड़े नजर आए, जबकि आधे विधायक सीएमओ का पक्ष लेते दिखे। दोनों पक्षों द्वारा मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजे गए, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। यह मामला धीरे-धीरे भाजपा के भीतर ही दो धड़ों में बंटवारे का रूप लेता गया।
कानपुर के नए सीएमओ के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे डॉ. उदयनाथ, इससे पहले श्रावस्ती में एसीएमओ के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। वे अनुशासनप्रिय और नियमबद्ध कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
जिसमें से जिले की चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारना होगा । विभाग में फैली अराजकता और मनमानी पर लगाम लगाना,और डीएम तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करना।कानपुर जैसे बड़े और संवेदनशील जिले में सीएमओ पद पर काम करना आसान नहीं होगा, लेकिन यदि डॉ. उदयनाथ प्रशासन के साथ तालमेल बैठाकर पारदर्शी और ठोस कदम उठाते हैं, तो स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की नई उम्मीद जाग सकती है।