
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ आयोजन सनातन धर्मलंबियों का था, लेकिन खुशी उनको भी हो रही थी क्योंकि ऐसा आयोजन पहली बार हुआ और दुनिया में ऐसा आयोजन कहीं नहीं होता है। महाकुम्भ में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एक साथ एक मंच पर आ करके अपने अनुसार आयोजन को आगे बढ़ाने में लगातार योगदान दे रहे हैं। यह हमारे लिए गौरव का विषय होना चाहिए। गत वर्ष अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ।
उसको भी पूरी दुनिया ने देखा। पूरी दुनिया अयोध्या के प्रति ललायित थी। इस वर्ष महाकुंभ के आयोजन के साथ हमें जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है। वहीं महाकुंभ के साथ-साथ अयोध्या और काशी को नजदीक से देखने का अवसर आमजन को प्राप्त हुआ है। मेरा मानना है कि यह दो महा आयोजन अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर रामलला का विराजमान होना और महाकुम्भ का आयोजन। इन दोनों ने ही एक भारत श्रेष्ठ भारत को दृशाया है। यह प्रधानमंत्री के विजन में मिल का पत्थर साबित होगा। यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा और आर्थिकी के लिए महत्वपूर्ण आयोजन होने जा रहे हैं। मेरा मानना है कि पूरे आयोजन के प्रति लोगों के मन में जो भाव आया है वह भाव राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान करने वाला भाव है। महाकुम्भ में भेदभाव की बात कहने वालों ने भी देखा होगा कि पूरे महाकुम्भ में बिना किसी भेदभाव के सभी एक साथ एक घाट पर स्नान कर रहे हैं। इससे बड़ी एकात्मता और एकता का संदेश नहीं हो सकता है। यही सच्चा सनातन धर्म भी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को करारा जवाब देते हुए कहा कि हमने समाजवादी पार्टी की तरह आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया। उनके समय में मुख्यमंत्री को फुर्सत नहीं थी कि वे उस आयोजन को देख सकें, उसकी समीक्षा कर सकें। यही वजह है कि उन्होंने एक नॉन सनातनी को कुम्भ का प्रभारी बनाया था, लेकिन यहां मैं स्वयं इसकी समीक्षा लगातार कर रहा था और लगातार कर रहा हूं। यही वजह है कि 2013 के कुम्भ में जो भी गया, उसे अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और प्रदूषण देखने को मिला। मां गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करने लायक पानी नहीं था।
माॅरिशस के प्रधानमंत्री उसके उदाहरण हैं, जिन्होंने स्नान करने से ही इंकार कर दिया था। वहीं इस बार देश और दुनिया को कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो महाकुम्भ में शामिल न हुआ हो और लगातार आ रहे हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, भूटान के नरेश समेत दुनिया के तमाम देशों से जुड़े 74 देशों के हेड आॅफ कमिशन भी महाकुम्भ में शामिल हुए। सभी ने आयोजन में भागीदार बन करके महाकुम्भ को सफल बनाया। पहली बार उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम से लोग आयोजन का हिस्सा बने। इस आयोजन में 74 देशों के राजनायिक और कई देशों के मंत्री शामिल हुए। क्या है वैश्विक आयोजन नहीं है। यही वैश्विक आयोजन है, जिसे दुनिया ने देखा है और अभिभूत होकर जा रहे हैं। आपने अमृत स्नान के दिन विभिन्न मीडिया चैनल द्वारा लाइव प्रसारण देखा होगा। उसमें विदेशी, पर्यटकों ने महाकुम्भ का साक्षात देखने का अनुभव किया। उनकी बातों को भी सुना होगा, वह कितने प्रफुलित थे।
सीएम ने कहा कि सोशल मीडिया हैंडल पर एक सज्जन ने महाकुम्भ का विरोध करने वालों पर बहुत ही सटीक टिप्पणी की। उन्होंने लिखा कि पिछले डेढ़ महीने में आप वामपंथियों और समाजवादियों की वॉल खंगाल लीजिए, वहां महाकुंभ को लेकर विषवमन के अलावा कुछ नहीं दिखेगा। उनकी वॉल पर गंदगी, अव्यवस्था, पर्यटकों की परेशानी के अलावा दूसरा कुछ भी नहीं मिलेगा, लेकिन इन सभी से इतर धरातल पर इनकी बजबजाती विचारधारा का कोई असर नहीं है।
हज के दौरान अव्यवस्था से होने वाली सैकड़ों मौतें किसी से छुपी नहीं हैं। वहीं भारत के वामपंथी, सेकुलर स्कॉलर महाकुम्भ की भव्यता पर उल्टी करते नजर आए हैं। हर बार उनकी कोशिश महाकुम्भ को बदनाम करने और फेल करने की रही है, लेकिन ऐसे तमाम लोगों की मनसा को दरकिनार करते हुए करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर उनके जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। उन्होंने आगे लिखा है कि महाकुम्भ के दौरान दुखद हादसा हुआ। इसके बाद भी आस्था और विश्वास तमाम परेशानियों पर भारी पड़ी।
तीर्थ यात्री समस्त परेशानी और मुश्किलों का पहाड़ चढ़ करके भी प्रयागराज महाकुम्भ पहुंचे। वहां से स्नान कर खुशी-खुशी वापस लौटे। रिश्तों के जटिल समीकरण को परिभाषा करता महाकुम्भ अब अपने समापन की ओर है, लेकिन यहां से निकला संदेश हर सनातनी के मन में अमिट छाप छोड़ गया, जो वर्षों तक लोगों की बात कही और कहानियों में जीवंत रहेगा। महाकुम्भ में अपनी सास को पीठ पर उठाकर कुंभ स्नान करानी वाली बहू को भी लोगों ने देखा होगा, लेकिन सनातन विरोधियों की नजर केवल गंदगी पर पड़ी है