लखनऊ। सेवा भाव और कर्मयोग में अपने आत्मा को समर्पित करने वाले मृदुल हृदय व्यक्तित्व के धनी हिमांशु एवं अर्चना ने अपने वैवाहिक वर्षगाठ की मंगल बेला पर अपने पूरे परिवार के साथ सेवा धर्म की पावन मन्दाकिनी में डुबकी लगाते हुए लोहिया हॉस्पिटल, लखनऊ में कैंसर एवं असाध्य रोगियों के निःशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर दरिद्र नारायण की सेवा के माध्यम से नर सेवा ही नारायण सेवा है, के ध्येय वाक्य को चरितार्थ किया।
मित्रों , वैवाहिक वर्षगाठ को सेवा दिवस के रूप में मनाते हुए गरीब , असहाय एवं भूख से तड़पतें लोगों की भोजन सेवा कर उन्हें आनंदित देखकर श्री हिमांशु जी एवं अर्चना जी के चहरे पर संतोषम परम सुखम के भाव ने अपने कलेवर में बरबस ही बाबा तुलसी के इन पंक्तियों की तरफ ध्यान आकर्षित करा दिया कि –
“सिर भर जाऊ उचित यह मोरा, सबते सेवक धरम कठोरा “-रामचरितमानस
इसीलिए कहा गया है कि सेवा धर्म की पावन मंदाकिनी सबका मंगल करती है। यह लोक साधना का सहज संचरण है।दरिद्र नारायण की शुश्रुषा से बढ़कर कोई तप नहीं है। सेवा मानवीय गुण है , निष्काम सेवा का फल आंनद है।
इस खास मौके पर फूडमैन विशाल सिंह ने पूरे प्रसादम परिवार की तरफ से हिमांशु एवं अर्चना को वैवाहिक वर्षगांठ की मंगल बेला पर बधाई दी। आगे विशाल सिंह ने कहा कि अपने वैवाहिक वर्षगांठ की मंगल बेला पर प्रसादम सेवा यज्ञ में अन्न की आहुति देने के लिए हिमांशु को कोटि कोटि धन्यवाद, मां अन्नपूर्णा से मैं प्रार्थना करता हूं कि आपका परिवार हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहे।
महल हो या जंगल ‘सियारामजी’ मिलकर रहते हैं,
सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।।