लखनऊ। विजय श्री फाउंडेशन प्रसादम सेवा के तत्वाधान में सदर महिला समिति ने मेडिकल कॉलेज , लखनऊ में निःशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर गरीबों ,असहायों एवं भूखे व्यक्तियों को भोजन कराकर अन्न दान के माध्यम से श्रेष्ठ दान करते हुए ,दरिद्र नारायण की सेवा बड़े हर्ष के साथ किया।
सदर महिला समिति के सदस्य सेवा परमो धर्म: के विचार से अनुप्राणित होते हुए अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कहा कि अन्न दान श्रेष्ठ दान इसलिए है, क्योंकि अन्न से ही शरीर चलता है। अन्न ही जीवन का आधार है। अन्न प्राण है, इसलिए इसका दान प्राणदान के सामान है। यह सभी दानों में श्रेष्ठ और ज्यादा फल देने वाला माना गया है।
मित्रों , सेवा मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है, सेवा ही उसके जीवन का आधार है। गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है, इसी विचारधारा से ओत – प्रोत हो सदर महिला धर्म का सबसे महत्वपूर्ण अंग भी माना गया है। भोजन सेवा से अभिभूत होकर आप लोगों ने कहा कि जिन वस्तुओं को हम खुद को खिलाने के लिए उपयोग करते हैं। वे ब्रम्हा हैं, भोजन ही ब्रम्हा है, भूख की आग में हम ब्रम्हा महसूस करते हैं और भोजन खाने और पचाने की क्रिया ब्रम्हा की क्रिया है। अंत में प्राप्त परिणाम ब्रम्हा है। अतः नर सेवा ही नारायण सेवा है।
इस मौके पर फ़ूडमैन विशाल सिंह ने सदर महिला समिति को भोजन सेवा के लिए पूरे प्रसादम परिवार की तरफ से धन्यवाद देते हुए कहा कि वर्तमान के इस भौतिकवादी समाज में व्यक्ति के अंदर करुणा , दया , सहानुभूति एवं समानुभूति जैसे सात्विक भावों का जाग्रत होना जरूरी है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा भी है कि, अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करें तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा , ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए उतना ही बेहतर है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि, समाज में दीन -हीन व्यक्तियों को देखकर आपके हृदय में करुणा का भाव अवश्य जाग्रत होना चाहिए, क्योंकि करुणा, दया ,सहानुभूति एवम समानुभूति जैसे सात्विक भावों से ही एक सहिष्णु एवं रचनात्मक समाज की स्थापना की जा सकती है।
शिव पुराण में अन्न दान के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि. जिसके अन्न को खाकर मनुष्य जब तक कथा श्रवण आदि संदर्भ पालन करता है। उतने समय तक उसके किये हुए पुण्य फल आधा भाग दाता को मिल जाता है। इसमें कोई शक नहीं इसलिए सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। अतः प्रसादम सेवा में राशन की आहुति देकर परलोक में अपने पुण्यो का फ़िस्क़ डिपॉजिट करें।
सेवा मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है, सेवा ही उसके जीवन का आधार है, गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
( फूडमैन विशाल सिंह)