‘सिंह परिवार’ ने स्वर्गीय राजपाल सिंह की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि की अर्पित

लखनऊ। बुधवार को मानवता के मंदिर विजय श्री फाउंडेशन , प्रसादम सेवा के तत्वाधान में राघवेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी सुमन सिंह एवं बच्चों मानसी सिंह एवं रिद्धि सिंह सहित पूरे परिवार के साथ अपने पिता स्वर्गीय राजपाल सिंह की पुण्यतिथि एवं अपने समस्त पितरों के तर्पण हेतु प्रेम, शांति एवं मानवता के दिव्य संदेश सेवा भाव की पावन त्रिवेणी में डुबकी लगाते हुए पूरी श्रद्धा और तन्मयता से मेडिकल कॉलेज , लखनऊ में नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा करते हुए उन्हे प्रसाद वितरण किया।

इस मौके पर आप लोग नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा करते हुए भाव विभोर हो गए , आप लोगो ने इंसानियत ही सबसे बड़ा मजहब के भाव को वास्तविकता के धरातल पर चरितार्थ किया।

सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।

मैं फूडमैन विशाल सिंह ,विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से स्वर्गीय राजपाल सिंह की पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। भाइयों , जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं ,इसलिए प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में राघवेंद्र सिंह ने अपने पूरे परिवार के साथ प्रतिभाग करते हुए गरीब , असह्य , भूख से तडपतें और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है , इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हू कि आप और आपका परिवार हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे , आप इसी तरह से मुस्करातें हुए लोगों की सेवा करें, यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है।

सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।
[ फ़ूडमैन विशाल सिंह ]

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