लखनऊ। फ़ूडमैन विशाल सिंह कहते है कि सेवा भाव, एक ऐसा मूल्य है जो हमें दूसरों की भलाई के लिए काम करने की प्रेरणा देता है। यह न केवल व्यक्तिगत संतोष का स्रोत है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी एक शक्तिशाली माध्यम है। सेवा भाव का मतलब है बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करना, उनकी समस्याओं को समझना, और उन्हें समाधान प्रदान करना। यह भावना समाज में एकता, सहयोग, और समझदारी को बढ़ावा देती है।
इस भाव के साथ गुरुवार को स्वर्गीय उमा थापर जी की जन्म -जयंती के अवसर पर लोहिया अस्पताल, लखनऊ में निःसक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर जन्म जयंती को सेवा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर विजय श्री फाउंडेशन प्रसादम सेवा के तत्वाधान में पूरा थापर परिवार सेवा धर्म की पावन त्रिवेणी में डुबकी लगाते हुए स्वर्गीय उमा थापर जी द्वारा दिए गए सेवा रूपी संस्कारों को वास्तविकता के धरातल पर चरितार्थ किया।
मित्रों , सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।
मैं फूडमैन विशाल सिंह ,विजय श्री फाउंडेशन, प्रसादम सेवा की तरफ़ से स्वर्गीय उमा थापर जी की जन्म -जयंती पर पूरे प्रसादम सेवा की तरफ़ से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। भाइयों , जीवन में भूख ही सबसे बड़ा दुख हैं, रोग हैं, तड़प हैं ,इसलिए प्रसाद सेवा के पुण्य कार्य में आपके पूरे परिवार ने प्रतिभाग करते हुए गरीब , असह्य , भूख से तडफते और करुणा कलित चेहरों पर मुस्कान लाने का जो प्रयास किया है। इसके लिए आपके पूरे परिवार को मेरा कोटि-कोटि वंदन एवं मैं मां अन्नपूर्णा एवं माता लक्ष्मी से प्रार्थना करता हू कि आप और आपका परिवार हमेशा धन- धान्य से परिपूर्ण रहे , आप इसी तरह से मुस्कराते हुए लोगो की सेवा करे । यही पुण्यों का फिक्स डिपॉज़िट है ।