नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अपनी प्रस्तावित योजनाओं के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों की आड़ में मतदाताओं का विवरण मांगने को गंभीरता से लिया है, क्योंकि यह चुनाव कानून के तहत भ्रष्ट आचरण के समान है।
चुनाव प्राधिकरण ने उल्लेख किया कि कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में संलग्न हैं जो वैध सर्वेक्षणों और चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के मद्देनजर व्यक्तियों को पंजीकृत करने के पक्षपातपूर्ण प्रयासों के बीच की रेखाओं को पार कर रहे हैं।
आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को किसी भी विज्ञापन, सर्वेक्षण या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से चुनाव के बाद लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं के लिए लोगों को पंजीकृत करने वाली किसी भी गतिविधि को तुरंत बंद करने के लिए एक सलाह जारी की।
इसमें कहा गया है कि चुनाव के बाद के लाभों के मद्देनजर पंजीकरण के लिए निजी तौर पर मतदाताओं को आमंत्रित करने या बुलाने का कार्य निर्वाचक और प्रस्तावित लाभ के बीच एक लेन-देन जैसे संबंध का आभास पैदा कर सकता है और एक प्रलोभन जैसा है।
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