कन्नौज से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किया नामांकन, कार्यकर्ताओं का जोश हाई

कन्नौज । समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कलक्ट्रेट पहुंचकर कन्नौज सीट से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। जिले में पार्टी अध्यक्ष को उम्मीदवार बनता देख पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर छाई हुई है।


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार दोपहर कलक्ट्रेट पहुंचकर कन्नौज सीट से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इस दौरान उनकी पत्नी डिंपल यादव , चाचा शिवपाल और रामगोपाल समेत पार्टी के कई पदाधिकारी मौजूद रहेI बता दें, बुधवार को इटावा में आयोजित कार्यक्रम के बाद अखिलेश ने पत्रकारों से सवालों के जवाब में इसके स्पष्ट संकेत दे दिए थे। मुखिया के आने से सपाइयों में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। जोश से भरे सपा कार्यकर्ताओं ने अखिलेश यादव के समर्थन में जमकर नारे लगाए।

वहीं नामांकन करने के बाद अखिलेश ने कहा कि कन्नौज को अब और आगे बढ़ाना है. कन्नौज के विकास और सम्मान के लिए, कन्नौज के विकास के लिएI कन्नौज का कारोबार न केवल भारत में बल्कि विश्व में है, जो विकास यहां का थम गया उसे जानकर रोका बीजेपी ने क्योंकि यह सपा का गढ़ था I

सपा मुखिया ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने ना जाने कितनी बार यहां के लोगों को अपमानित किया है. कन्नौज की जनता ने विकास होते हुए देखा है, पुराने लोग जिन्होंने लोहिया जी को चुना था वह जानते हैं नेताजी ने सिद्धांतो को आगे बढ़ाया. मुझे एक बार फिर यहां आने का सौभाग्य मिला है, मैं यहां के विकास के लिए काम करूंगा, इसका नाम और हो जाए इसके लिए काम करूंगाI

यहां जो बिजली में काम हुआ वह सपा का काम है. नदियों पर जो पुल बने, केवल कन्नौज ही नहीं बाकी जगह भी सपा ने बनवाएI यहां हवाई पट्टी बनी थी केवल एक बार हवाई जहाज उतरा, बीजेपी की नकारात्मकता देखी जा सकती है उससेI आठ लेन गंगा का पुल बनवाया सपा ने, जहां से शुरू हुआ आखिर तक, सबसे पहले हमने बनवाया. जो मंडी बनी थी आज भी आधी अधूरी है, किसान बाजार सब बन पड़ा है I

अखिलेश यादव इस सीट से पहले भी सांसद रहे हैं. वे 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले तीन बार कन्नौज से सांसद चुने गए I साल 2000 में अखिलेश की सियासी पारी का आगाज इसी कन्नौज सीट से हुआ थाI अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट से उपचुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थीI

जब अखिलेश यादव साल 2012 में सूबे के मुखिया बने तो यह सीट खाली हो गई. उसके बाद उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल की सियासी पारी की शुरुआत हो गई Iयहां तक 2014 में मोदी लहर के बावजूद डिंपल ने कन्नौज सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि 2019 के चुनाव में डिंपल और सैफई परिवार को बड़ा झटका लगा और सपा का गढ़ कहे जाने लगी इत्र नगरी हाथ से निकल गई I


सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन होने के बावजूद डिंपल को सफलता नहीं मिली और यहां बीजेपी के स्थानीय नेता सुब्रत पाठक ने जीत हासिल की. अब 2024 में अखिलेश के फिर मैदान में आने से कन्नौज बीजेपी और सपा के बीच करीबी मुकाबले की ओर बढ़ रहा है I

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