लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हराने के लिए सपा-कांग्रेस एक बार फिर से एक हो गई है। सपा-कांग्रेस में गठबंधन को लेकर चल रही सभी अटकलों पर अब अंतिम विराम लग गया हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बात बन गई हैं। प्रियंका गांधी के सिर्फ एक कॉल पर ही दोनों दलों में समझौता करा दिया। अगर हम बात करें सीट की तो समाजवादी पार्टी ने यूपी के 80 सीटों में कांग्रेस को 17 सीट दिया हैं। इससे यह तो साफ हो गया हैं कि गठबंधन की डोर सपा के हाथ में हैं लेकिन दोनों पार्टियों के लिए चुनौतियां आसमान की हैं।
‘अंत भला तो सब भला’ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस वाकया के साथ आखिरकार गठबंधन की तस्वीर साफ होती नजर आई। पिछले करीब 10 दिनों में सपा-कांग्रेस के बीच चल रहा तनाव काफी गहराया हुआ था। एक समय ऐसा भी आया, जब कांग्रेस और सपा की राहें अलग होती दिखीं। लेकिन इस कड़ी में प्रियंका गांधी की एंट्री के बाद सब कुछ बदल कर रख दिया और दोनो की राहें फिर से एक हो गई। बता दें कि प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव को फोन कॉल किया जिसके बाद सपा-कांग्रेस के गठबंधन का समझौता तय हो गया।
इस तरह से यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन में प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव की अहम भूमिका रही। अब बात कर लेते हैं सीट की तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का बुधवार को आधिकारिक ऐलान किया गया। जिसमें कांग्रेस यूपी में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो वहीं 63 सीटों पर सपा और अन्य दल लड़ेंगे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया शामिल हैं।
आपको बता दें किसमाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को वही सीटें ऑफर की हैं जहां उसकी स्थिति कमज़ोर हैजहां उनका जीतना मुश्किल हैं। जब आप इन सीटों का इतिहास देखेंगे तो 17 में से 7 सीट ऐसी हैं जिन्हें समाजवादी पार्टी अपने 32 साल के दौरान आज तक नहीं जीत सकी। इसके अलावा दूसरी 7 सीटें ऐसी हैं जहां समाजवादी पार्टी सिर्फ 1 बार जीती और 3 सीटों पर सिर्फ 2-2 बार जीती।
सपा और कांग्रेस गठबंधन के सामने जनाधार बढ़ाने की चुनौतियां होंगी। पांच साल हुए लोकसभा की बात करें तो यूपी के चुनाव में 7 साल बाद सपा-कांग्रेस एक साथ आई। साल 2017 में दोनों पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। उस समय सत्ता पर सपा का अधिकार था उस दौरान अखिलेश यादव ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थी और अपने पास 298 सीट रखीं। लेकिन 2017 दोनों पार्टियों के लिए अच्छा नही रहा, उस समय दोनों पार्टियों का वोट बैंक 28.07 ही पहुंच सका था।
सपा को 47 सीट पर ही कब्जा रहा और अगर वोट की बात करें तो 21.82 प्रतिशत रहा। उस समय कांग्रेस को कोई फायदा नही हुआ सिर्फ 7 सीट ही हांसिल कर सकी और वोट प्रतिशत 6.25 रहा। फिलहाल अब सपा-कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हैं इस बार कितना वोट प्रतिशत हासिल होती हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
भले ही रायबरेली सीट पर कांग्रेस का 1999 से कब्जा है और कांग्रेस पार्टी ने कई बार जीत का परचम भी लहराया हो। लेकिन पिछले चुनाव की बात करें तो कांग्रेस का रिकॉर्ड काफी खराब रहा। अब यूपी में कांग्रेस को सपा का साथ मिला हैं पर बीजेपी चुनाव को लेकर आत्मविश्वास से भरपूर हैं। बीजेपी ने नारा दिया हैं ‘अबकी बार 400 पार’। अब देखना होगा कि सपा का साथ पाकर कांग्रेस को लोगों का समर्थन कितना मिलता हैं। जिस तरह से अखिलेश यादव ने अपने बयानों में कहा हैं कि ‘अंत भला तो सब भला’ तो अब देखना होगा कि क्या वाकई में अंत भला होगा?
कांग्रेस के साथ सीट के बंटवारे को अंतिम रूप देने के बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि ‘PDA’ बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को हराएगा। उन्होंने कहा कि “NDA हराएगा NDA, अस्सी हराओ भाजपा हटाओ।” जिस तरह से अखिलेश यादव ने अस्सी हराओ भाजपा हटाओ।” का नारा दिया है तो आने वाला समय ही बताएगा कि चुनाव में ये फॉर्मूला कितना कारगर होगा।