पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य कि समाजवादी पार्टी के साथ रिश्तों का अंत हो गया है। महासचिव पद छोड़ने के बाद अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है साथ ही उन्होंने एमएलसी पद से भी त्यागपत्र दे दिया है।
सपा से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, ‘मैं साफ-सुथरी राजनीति में विश्वास रखता हूं। अलग होने का कारण वैचारिक मतभेद है। मेरे अखिलेश यादव से वैचारिक मतभेद रहे हैं.ममैंने अखिलेश यादव को देखा, वह समाजवादी विचारधारा के खिलाफ जा रहे हैं। मेरे पास मुलायम सिंह यादव के साथ भी काम करने का अनुभव है. वह कट्टर समाजवादी नेता थे जो लोग उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, वे उनकी विचारधारा पर नहीं चल पा रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसके पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के नाम एक पत्र भी लिखा है। मौर्य ने लिखा- आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ किन्तु दिनांक 12 फरवरी को हुई वार्ता एवं दिनांक 13 फरवरी को प्रेषित पत्र पर किसी भी प्रकार की वार्ता की पहल न करने के फलस्वरूप मैं समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्य से भी त्याग-पत्र दे रहा हूं।
अब चर्चा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अब किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे 22 फ़रवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में रैली को संबोधित करेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। स्वामी की पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी होगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य 5 बार के विधायक रहे हैं. वे मायावती और योगी सरकार के प्रथम कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वे समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। हालांकि वे 2022 का चुनाव हार गए थे. उसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाकर विधान परिषद भेजा था।