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पितृपक्ष श्राद्ध के अवसर पर सौजन्य से श्री अनिल दुबे ने लोहिया इंस्टीट्यूट में की नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा

पितृपक्ष श्राद्ध के अवसर पर सौजन्य से श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार ने सार्थक किया नर सेवा नारायण सेवा का मिशन

लखनऊ । हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। ये 16 दिन हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं। वहीं, आज समस्त पितरों को तर्पण हेतु पितृपक्ष श्राद्ध में विजयश्री फाउन्डेशन सेवा प्रसादम लोहिया इंस्टीट्यूट लखनऊ में सौजन्य से श्री अनिल दुबे जी एवं सम्स्त परिवार ने असाध्य रोगों से पीड़ित नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर पुण्य आत्माओं की ‘स्मृति’पर विनम्र पुष्पांजलि अर्पित की।

पितृपक्ष श्राद्ध के अवसर पर सौजन्य से श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिन वस्तुओं को हम खुद को खिलाने के लिए उपयोग करते है, वे ब्रम्हा है, भोजन ही ब्रम्हा है, भूख कि आग में ब्रम्हा महसूस करते है और भोजन खाने और पचने की क्रिया ब्रम्हा की क्रिया है ।

अंत में हम प्राप्त परिणाम ब्रम्हा है। अब सोचिये कि भोजन ग्रहण करने की पूरी प्रक्रिया ही ब्रम्हा है, और हम ब्रम्हा के अंश है, तो अगर हम पितृपक्ष श्राद्ध के अवसर पर भूखे व्यक्तियों को अन्न दान करते है तो स्वयं ब्रम्हा की सेवा कर सकते है।  पितृपक्ष श्राद्ध में सौजन्य से  श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार ने कहा कि श्राद्ध के अवसर पर तर्पण के माध्यम से  भोजन दान करके गोकुल लोक वासी आत्मा को शांति प्रदान करना। इससे ईश्वर की विशेष कृपा आपके ऊपर होती है, आपके मन में प्रेम, दया , उपकार, की भावना उपन्न होने लगती है। किसी भी पीड़ित व्यक्ति को देखकर आप उनकी तन, मन, धन से सेवा करते है।

श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार ने बताया कि सकारात्मक ऊर्जा से भरे समय पर व्यक्ति को अपनी शक्ति के अनुसार दान-धर्म द्वारा समाज को कुछ वापस देन का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि कहा गया है कि जैसा दोगे वैसा ही पाआगे । समाज में गरीबों, असहायों, मजलूमों एवं भूखे व्यक्तियों को देखकर आपके हृदय को करुणा-कलित हो जानी जाना चाहिए, उसमें विकलता की रागनी बजनी चाहिए, क्योंकि ओ भी उसी दयानिधि के अंश है। उनकी सेवा ईश्वर की सेवा है। नर सेवा ही नारायण सेवा है। भूखें व्यक्तियों को भोजन कराकर आप ईश्वर को प्रसन्न करते हैं क्योंकि वे ईश्वर के ही तो अंश हैं । इसीलिए अन्नदान को महादान माना गया है।

 

श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार द्वारा इस पुनीत कार्य में सहभागी बनकर नर सेवा नारायण सेवा के मिशन को सार्थक किया गया और उनके इस सार्थक प्रयास से कई जरूरतमंदों को भोजन प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला। विजयश्री फाउन्डेशन सेवा प्रसादम के संस्थापक श्री फ़ूडमैन विशाल सिंह बताते है कि भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी पिलाना ही सच्ची मानवता है । समाज और संसार में नर सेवा ही नारायण सेवा है।इसी तरह मानव सेवा के मिशन को आगे बढ़ाते हुए अपने से दीन-हीन, असहाय, अभावग्रस्त, आश्रित, वृद्ध, विकलांग, जरूरतमंद व्यक्ति पर दया दिखाकर सेवा करने से ही समाज उन्नति करेगाI पितृ पक्ष, पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस पक्ष में सही समय पर श्रद्धा भाव से किया गया श्राद्ध कर्म व्यक्ति के जीवन मे खुशियों का अंबार ला सकता है।

फ़ूडमैन विशाल सिंह ने आगे कहा कि आज विजयश्री फाउंडेशन- प्रसादम सेवा के माध्यम से लखनऊ के 3 अस्पताल मेडिकल कॉलेज लखनऊ, बलरामपुर अस्पताल व लोहिया संस्थान लखनऊ में दोपहर के समय लगभग 1000 निःशक्त तीमारदारों को निःशुल्क भोजन सेवा की जाती है।

लोगों से अपील की कि हम सब मिलकर इस पुनीत व मानवीय सेवा मिशन में अपने परिवार से कुछ मुट्ठी राशन का सहयोग करें। उन्होंने ये भी कहा कि हम अपना जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी या किसी की स्मृति में इन तीमारदारों की भोजन सेवा कर नर में नारायण के विचार को आगे बढ़ाए।

फ़ूडमैन विशाल सिंह ने साथ ही इस पुण्य कार्य में सहभागी बनने के लिए सौजन्य से श्री अनिल दुबे जी एवं समस्त परिवार को पूरे संगठन की ओर से साधुवाद देते हुए कहा कि पितृपक्ष श्राद्ध के अवसर पर पुण्य आत्माओं की ‘स्मृति’ पर उन्हें कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

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