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डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाले में शिकंजा कसने की तैयारी, घोटालेबाज अफसरों और नेताओं से होगी रिकवरी

100 बीघे से भी ज्यादा जमीन में किया गया फर्जीवाड़ा, मामले में 18 पक्षकारों को नोटिस जारी किया गया

लखनऊ I जिला प्रशासन की ओर से अब तक कुल 18 पक्षकारों को नोटिस भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि पूर्व में पारित आदेश से संबंधित पत्रावली में आप पक्षकार थे। ऐसे में नियत तिथि पर पेश होकर अपना पक्ष रखें, अन्यथा माना जाएगा कि आपको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है। सूत्रों का कहना है कि शासन के आदेश के बाद जांच में तेजी आई है।

किसानों से गलत तरीके से जमीन की रजिस्ट्री कराकर सरकार से मुआवजे के तौर पर मोटी रकम वसूलने वालों से रिकवरी होगी। नोटिस मिलने के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त करने वाले कलेक्ट्रेट का चक्कर लगा रहे हैं। डिफेंस कॉरिडोर से चर्चा में आए भटगांव में बिना पट्टा आदेश के जमीन के आवंटन दिखा सरकारी स्वामित्व की करीब 110 बीघा जमीन भू-माफिया को बेचने का मामला उजागर हुआ था। सरोजनीनगर तहसील के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की जमीन गलत तरीके से रजिस्ट्री कर दी गई थी। इस पूरे प्रकरण की जांच चल रही है। इसमें कई नेताओं और अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं।

डिफेंस कॉरिडोर के लिए भटगांव का चयन हुआ, तो वहां की जमीन की दर आसमान छूने लगी। भू-माफिया सक्रिय हो गए। जिस इलाके में कॉरिडोर के लिए जमीन का अधिग्रहण होना था, वहां के किसानों से सस्ती दर में जमीन खरीदी गईं। सबसे बड़ा खेल यह हुआ कि यह जमीन पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की थी। इसे बेचा नहीं सकता था। बावजूद इसके इस जमीन को पहले संक्रमणीय कराया गया और फिर बेचा गया। बड़ा मामला यह भी सामने आया कि जिन लोगों को इन पट्टों का आवंटी बताया गया था, उनकी काफी समय पहले मौत हो गई थी। इनके वारिसा नाम से अनुबंध पत्र तैयार कराए गए और वरासत के आधार पर जमीन बेच दी गई।

चूंकि इस जमीन का डिफेंस कॉरीडोर में अधिग्रहण किया गया तो ऐसे में खरीदारों ने इस जमीन को लेकर सरकार से अपनी खरीद के मुकाबले कई गुना मुआवजा लिया। मुआवजा लेने वालों में सरकारी कर्मी भी शामिल हैं। इसी तरह के और मामले भी हैं जो ठंडे बस्ते में पड़े हैं। सरोजनीनगर तहसील के अहिमामऊ क्षेत्र में भी जमीन का घोटाला उजागर हुआ था। तब तत्कालीन जिलाधिकारी ने सरोजनीनगर तहसील के सभी कर्मचारियों का स्थानांतरण कर दिया था। यही नहीं, कमेटी गठित कर सीडीओ को जांच सौंपी गई थी।
सीडीओ ने रिपोर्ट डीएम को भेज दी। वहीं, डीएम के यहां से मंडलायुक्त कार्यालय जांच रिपोर्ट भेज दी। रिपोर्ट में तहसील के कर्मचारियों को दोषी भी ठहराया गया, लेकिन अभी तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं हो सकी।

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