‘स्वर्गीय केदारनाथ सिंह’ की ‘पुण्यतिथि’ पर ‘सिंह परिवार’ ने लोहिया इंस्टीट्यूट में की नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा
पिता की पुण्यतिथि पर बेटे डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह एवं समस्त सिंह परिवार ने सार्थक किया नर सेवा नारायण सेवा का मिशन

लखनऊ। स्वर्गीय पिता केदारनाथ सिंह की ‘पुण्यतिथि’ पर पुत्र डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह एवं समस्त सिंह परिवार की ओर से लोहिया इंस्टीट्यूट लखनऊ में असाध्य रोगों से पीड़ित नि:शक्त तीमारदारों की भोजन सेवा कर स्वर्गीय पिता केदारनाथ सिंह के ‘पुण्यतिथि’ पर पुष्पांजलि अर्पित की।
स्वर्गीय पिता केदारनाथ सिंह की ‘पुण्यतिथि’ पर पुत्र डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह एवं समस्त सिंह परिवार ने आज की मानव सेवा के बारे में कहा कि हमें इस तरह इस पुनीत कार्य में सहभागी बन नर सेवा नारायण सेवा विचार को बढ़ाने की बड़ी पहल का साझेदार बन कर स्वर्गीय पिता श्री केदारनाथ सिंह की आत्मा को शांति मिलेगी।
इस परिवार द्वारा इस पुनीत कार्य में सहभागी बनकर नर सेवा नारायण सेवा के मिशन को सार्थक किया गया और उनके इस सार्थक प्रयास से कई जरूरतमंदों को भोजन प्रसाद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला। पुत्र डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह को सेवाभाव का भाव पिता से विरासत में मिला हैI
पुत्र डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह ने पिता की पुण्यतिथि पर इस तरह से सुखद सेवा भाव करने के लिए फ़ूडमैन विशाल सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा कि सेवा का भाव ही इंसान को जीवन में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाता है। जिसके लिए मन के भीतर इसका समावेश जरूरी है। हम सब भाइयों में पिता जी ने बचपन से ही सेवा की भावना का विकास किया हैI सेवा के पथ पर चल कर ऊंचाइयों तक पहुंचने वालों के पास साधन नहीं थे फिर भी हम लोग सेवा के भाव का साथ नहीं छोड़ा।
डॉ आनन्द कुमार सिंह ने बताया कि सेवा-भाव को विकसित करने के लिए सबसे पहली कक्षा परिवार होती है। जहां एक दूसरे की मदद की जाती है। इसके बाद शिक्षक उस भाव को निखारते हैं। लेकिन नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा के ही सही मायने हैं, जिसका उपयोग निजी आवश्यकता या उन्नति के लिए नहीं किया गया हो। साधनों की कमी के बावजूद जिसके सेवा भाव में कमी न आए वह शुद्ध सेवा है। यही सेवा जीवन को प्रगति के पथ पर ले जाती है।
डॉ शांतनु सिंह ने कहा कि सेवा के दो स्वरूप होते हैं। एक वह जो अपनी सुख सुविधा और आराम के लिए सेवा ली जाए। दूसरी वह सेवा जो सहायता, सहयोग व सहानुभूति के रूप में की जाती है। अभिभावकों को बच्चों में परोपकार-भाव को जाग्रत करने का प्रयत्न करना चाहिए।इसका प्रारम्भ घर की व्यवस्था ठीक करते समय चीजों को उठाने, रखने में अपने हाथ बंटवाकर, छोटे भाई-बहनों को पढ़ाने-लिखाने और स्कूल जाने-आने में सहयोग करा कर तथा ऐसी सेवायें लेकर किया जा सकता है। जिससे उसे उसका अभ्यास हो और रुचि उत्पन्न हो। साथ ही समय समय पर बच्चे को परोपकार के महत्व और उससे होने वाले लाभ के बारे में भी बतलाना चाहिए। हालांकि बच्चों को अनेक अवसरों पर परोपकार की शिक्षा दी जाती है।
लेकिन उसका कोई लाभ नहीं होता क्योंकि सिर्फ औपचारिकता के रूप में कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें मौखिक उपदेश तक ही सीमित रखा जाता है। वास्तविक प्रेरणा नहीं दी जाती।वास्तविक प्रेरणा तो बच्चों को ठीक-ठीक अभिभावकों यानि पिता से ही प्राप्त हो सकती है। ऐसे कामों के लिए दूसरों की अपेक्षा माता-पिता की बातें सबसे अधिक प्रभाव डालती हैं।जिसका विस्तार शिक्षक करते हैं। सभी मनुष्यों में सहज ही सेवा और सहयोग की प्रवृति होती है।
जरूरत बस उस संस्कार को सहेजने और विकसित करने की है। छोटे बच्चे अपने अभिभावक की बात को आसानी से मान लेते हैं, इसलिए उन्हें उनकी छोटी आयु में ही ऐसी कई बातें समझानी चाहिए जो उनके भविष्य की नींव के लिए आवश्यक है। देखा जाए तो इसके दूसरे प्रभाव भी सामने आते हैं।
कई बार अभिभावक या शिक्षक बच्चों को पैसे या उपहार का प्रलोभन देकर उनसे वह कार्य करवाते हैं जिसे उन्हें स्वेच्छा से करनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे में गलत प्रवृति का भी जन्म हो सकता है। इसलिए बदले में सेवा का भाव विकसित करने के बजाय उसे मन के भीतर जागृत करने की आवश्यकता है।
इस बारे में फ़ूडमैन विशाल सिंह भी बताते है कि भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी पिलाना ही सच्ची मानवता है।समाज और संसार में नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसी तरह मानव सेवा के मिशन को आगे बढ़ाते हुए अपने से दीन-हीन, असहाय, अभावग्रस्त, आश्रित, वृद्ध, विकलांग, जरूरतमंद व्यक्ति पर दया दिखाकर सेवा करने से ही समाज उन्नति करेगाI
फ़ूडमैन विशाल सिंह ने आगे कहा कि आज विजयश्री फाउंडेशन- प्रसादम सेवा के माध्यम से लखनऊ के 3 अस्पताल मेडिकल कॉलेज लखनऊ, बलरामपुर अस्पताल व लोहिया संस्थान लखनऊ में दोपहर के समय लगभग 1000 निःशक्त तीमारदारों को निःशुल्क भोजन सेवा की जाती है। यह सेवा निरंतर 16 वषों से चली आ रही हैI मरीजों के तीमारदारों के ठहरने के लिए रैन बसेरे भी संचालित है I
लोगों से अपील की कि हम सब मिलकर इस पुनीत व मानवीय सेवा मिशन में अपने परिवार से कुछ मुट्ठी राशन का सहयोग करें. उन्होंने ये भी कहा कि हम अपना जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी या किसी की स्मृति में इन तीमारदारों की भोजन सेवा कर नर में नारायण के विचार को आगे बढ़ाए।
फ़ूडमैन विशाल सिंह ने साथ ही इस पुण्य कार्य में सहभागी बनने के लिए सौजन्य डॉ आनन्द कुमार सिंह,डॉ शांतनु सिंह, वैभव सिंह एवं समस्त सिंह परिवार को पूरे संगठन की ओर से साधुवाद देते हुए स्वर्गीय बाबू जी श्री केदारनाथ सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।