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यूपी सरकार 20 लाख से ज्यादा राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने से किया इनकार

लखनऊ। यूपी विधानसभा में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रदेश के 20 लाख से ज्यादा राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारियों के संगठनों की सहमति से पुरानी पेंशन लागू की गई थी। कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में 9.32 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिल रहा है। सरकार के जवाब से नाराज समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। प्रश्नकाल में समाजवादी पार्टी के अनिल प्रधान, पंकज मलिक, जय प्रकाश अंचल, ने जानना चाहा कि क्या सरकार राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू करेगी।

अनिल प्रधान ने कहा कि नई पेंशन योजना कर्मचारियों के हित में नहीं है। जो कर्मचारी 80 से एक लाख रुपये तनख्वाह पा रहे थे, उन्हें अब तीन से चार हजार रुपये पेंशन मिल रही है। सपा के पंकज मलिक ने मुजफ्फरनगर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के रामदास 80 हजार रुपये वेतन पा रहे थे, उन्हें अब 3200 पेंशन मिल रहा है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) एक अप्रैल 2005 से लागू की गई थी।

सरकार अब पुरानी योजना को बहाल करने पर विचार नहीं कर रही है। खन्ना ने सपा सदस्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के भविष्य की बेहतर सुरक्षा होने की बात पर जोर दिये जाने के संबंध में कहा कि नयी योजना को कर्मचारी संगठनों से बातचीत के बाद लागू किया गया है। नयी योजना में औसतन 9.32 फीसदी ब्याज दिया जाता है।

राज्य के संसदीय कार्य मंत्री ने कहा, कि वे (कर्मचारी) आठ प्रतिशत ब्याज चाहते थे और नयी पेंशन योजना के तहत 9.32 प्रतिशत की औसत ब्याज दर दी गई है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 85 फीसदी धन सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया गया है, जबकि बाकी 15 फीसदी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया (यूटीआई) और जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसे फंड मैनेजर के पास है, जिनकी साख के बारे में सभी को पता है।

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