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रेशमकीट पालन ग्रामीणों के लिए बना आय का स्रोत : मुनिराजू

बीबीएयू में हुआ स्टार्टअप संबंधी वर्कशॉप का आयोजन

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में सोमवार को इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल, सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन एंड इंटरप्रेंयोर एवं जंतु विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सेरीकल्चर व मछली पालन के क्षेत्र में स्टार्टअप संबंधी वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों को नई-नई तकनीकों, विचारों एवं उद्यमिता संबंधी तथ्यों से अवगत कराया गया।

कर्नाटक स्टेट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक डॉ. ई. मुनिराजू ने रेशम पालन के संदर्भ में चर्चा के दौरान कहा कि संपूर्ण भारत में रेशम कीट पालन पहले की अपेक्षा तेजी से बढ़ रहा है, लोग वैधानिक तौर तरीकों को अपनाकर नये प्रकार से इस उद्योग से जुड़ रहे हैं। इसके अतिरिक्त रेशमकीट पालन ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित लोगों की आय का स्त्रोत बन रहा है और महिलायें भी अपनी हिस्सेदारी इसमें सुनिश्चित कर रहीं हैं।

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान से आयी वैज्ञानिक डॉ. पूनम जयंत सिंह का कहना था कि रेशमकीट पालन के साथ साथ मछली पालन भी कम लागत और अधिक मुनाफा वाला व्यवसाय बन चुका है। सरकार मतस्य संपदा योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल, बीबीएयू के अध्यक्ष प्रो. राणा प्रताप सिंह ने स्टार्टअप को देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार बताया। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय स्टार्टअप को लेकर विद्यार्थियों की हर संभव सहायता कर रहा है, जोकि एक सकारात्मक पहल है।

इसके अतिरिक्त प्रो. कमल जैसवाल का कहना था कि भारत में तेजी के साथ यूनिकार्न की संख्या बढ़ रही है और छोटे- छोटे स्टार्टअप इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रो. वी. ऐलनगोवान, प्रो. वेंकटेश कुमार, प्रो. शिशिर कुमार, प्रो. सुमन मिश्रा एवं अन्य विद्यार्थी मौजूद रहें।

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