मां राजकुमारी दुबे की पुण्यतिथि पर ‘आईएएस चंचल तिवारी’ ने लोहिया इंस्टिट्यूट में निशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा से दी सच्ची श्रद्धांजलि
सौजन्य आईएएस चंचल तिवारी एवं समस्त परिवार ने लोहिया इंस्टीट्यूट लखनऊ में सार्थक किया नर सेवा नारायण सेवा का मिशन

लखनऊ। आज अपनी माँ स्वर्गीय राजुकुमारी दुबे जी की पूण्यतिथि पर बेटे आईएएस चंचल तिवारी ने परिवार के साथ लोहिया इंस्टीट्यूट लखनऊ में विजयश्री फाउंडेशन- प्रसादम सेवा के माध्यम से असाध्य रोगों से पीड़ित निशक्त तीमारदारों की भोजन सेवा से अपनी माँ स्वर्गीय श्रीमती राजकुमारी दुबे जी को पुष्पांजलि अर्पित की।
बेटे आईएएस चंचल तिवारी ने अपनी माँ स्वर्गीय राजकुमारी दुबे की पूण्यतिथि पर आज भोजन सेवा के अपने विचार के बारे में बताया कि सेवा ही परम धर्म है और दूसरों की सेवा करने में ही अच्छी खुशी मिलती है. उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह इस पुनीत कार्य में सहभागी बन नर सेवा नारायण सेवा विचार को बढ़ाने की बड़ी पहल का साझेदार बन कर माता-पिता से मिले सस्कार को आगे बढाने में माँ की पुण्यआत्मा को शांति मिलेगी।
आईएएस बेटे चंचल तिवारी जी ने बताया कि ये सेवा संस्कार उन्हें उनके माता-पिता से विरासत में मिले है और हमें नि:शक्त व असहायों की सेवा से सच्ची ख़ुशी मिलती है. हमें हमारे स्कूल में हमारे गुरुजनों ने भी यही शिक्षा दी है. और अब इसी संस्कार को आगे बढ़ा रहीं हू. लोगों की सेवा ही सच्ची सेवा है।
विशाल सिंह फ़ूडमैंन ने इस नेक कार्य के लिए आईएएस चंचल तिवारी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि साथियों जब समाज से ऐसे अधिकारी व सार्थक ऊर्जावान सेवादार के संगठन में हम जैसे लोगों की मदद करते हैं तभी सार्थक प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं ।
साथियों यह कितना सार्थक विचार है कि हम अपनी परिजनों की स्मृति में अस्पतालों में दर्द से जूझ रहे जरूरतमंद लोगों की भोजन सेवा कर उनकी इस मुश्किल घड़ी में मरहम लगाने का सार्थक प्रयास करें और ऐसा ही सार्थक प्रयास आज आईएएस चंचल तिवारी(पुत्र) और सेवादार साथी समय-समय पर करते रहते हैं।
बताते चले कि जीवन में सबसे बड़ी सेवा है मानव सेवा. फूडमैन विशाल सिंह ने 15 साल पहले इसी विचार के साथ मानव सेवा के मिशन की शुरुआत की थी. उन्होंने शुरुआत में केजीएमयू में प्रसादम सेवा के माध्यम से नि:शक्त जनो की सेवा शुरू की.
वो पिछले 15 साल से विजय श्री फाउंडेशन प्रसादम सेवा के माध्यम से शहर के विभिन्न अस्पतालों में जरूरतमंद तीमारदारों की निःशुल्क भोजन सेवा का काम कर रहे है जिसके चलते उन्हें फ़ूडमैन की उपाधि मिली.