
फ्रांस । स्वीडन में ईद-अल-अजहा के मौके पर एक शख्स ने एक मस्जिद के बाहर कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था। इस घटना के बाद पूरी दुनिया के मुसलमानों में स्वीडन सरकार के खिलाफ गुस्सा भड़का हुआ है।इसके बाद इस घटना के खिलाफ पाकिस्तान ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसे मंगलवार को मंजूरी मिल गई।
भारत ने भी पाकिस्तान के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।प्रस्ताव पर असहमति के कारण मंगलवार को उसे पास नहीं कराया जा सका था। इससे पहले प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुस्लिम देशों ने स्वीडन में कुरान जलाने की घटना को इस्लामोफोबिया से प्रेरित कृत्य करार देते हुए जवाबदेही तय करने की मांग की।
पाकिस्तान ने यूएन मानवाधिकार परिषद से मांग की कि इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट पेश की जाए। पाकिस्तान ने 57 देशों के संगठन OIC की ओर से मसौदा प्रस्ताव पेश किया था। इसमें कुछ देशों में पवित्र कुरान को सार्वजनिक रूप से बार-बार जाने की घटनाओं की निंदा की गई थी।UNHRC में कुल 47 सदस्य हैं। OIC के सिर्फ 19 देश इसमें हैं। पश्चिमी देशों के कुछ राजनयिकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। भारत सहित चीन ने इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान का समर्थन किया।
वहीं, अमेरिका, जर्मनी, रोमानिया, लिथुआनिया, यूके, फ्रांस समेत 12 देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया। नेपाल समेत सात देशों ने इस पर मतदान से परहेज किया। कुल 28 देशों ने इसका समर्थन किया है।प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुस्लिम देशों और पश्चिमी देशों के बीच मतभेद साफ नजर आया। मुस्लिम देशों का मानना था कि कुरान जलाने की घटना धार्मिक नफरत को बढ़ाने का काम करती है। फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता।
वहीं, पश्चिमी देशों ने कुरान जलाने की निंदा करते हुए ये भी तर्क दिया कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का मतलब कभी-कभी असहनीय विचारों को सहना भी होता है। फ्रांस ने कहा कि मानवाधिकार लोगों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं, धर्मों और उनके प्रतीकों के रक्षा के लिए नहीं बनाए गए हैं।