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नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने गांव-गांव में घर-घर तक पहुंचाया स्वच्छ पेयजल

सूखे की छाप से मिली कई गांव को मुक्ति

हमीरपुर। बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों में आने वाले हमीरपुर के गोहांड, राठ, मुस्कुरा एवं सरीला ब्लॉक के गांव में जल जीवन मिशन की योजना नई उम्मीद लेकर आई है। इन गांव के 40 किमी परिक्षेत्र तक नदी का कोई नामोनिशान नहीं है।

यहां बरसात होने के कुछ समय बाद ही भूजल स्तर नीचे गिर जाता है। पीने के पानी के लिए समस्याओं का सामना करना मजबूरी बनता है। ऐसी कठिन परिस्थितियों वाले हमीरपुर जिले के गांव में हर घर नल से जल पहुंचने लगा है।

नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की सौर ऊर्जा से संचालित परियोजनाओं से स्थापित की गई पानी टंकियों से पेयजल की सप्लाई की जाने लगी है।

गोहांड, राठ, मुस्कुरा एवं सरीला ब्लॉक के गांवों में नहीं मच रही त्राहि-त्रहि

गर्मियां आते ही पानी के लिये मचने वाली त्राहि माम। सूखाग्रस्‍त इलाके की छाप। दूर-दूर तक कोई नदी नहीं। तालाबों का प्रचंड गर्मी में सूख जाना। पीने के पानी के लिए कुंए ही एक मात्र स्त्रोत। उसपर भी पानी लेने के लिए होड़। कभी-कभी पानी के लिए होने वाली लड़ाईयां।

बूंद-बूंद पानी के लिए मशक्‍कत हमीरपुर के राठ ब्‍लाक के उमनिया जैसे अनेक गांव की कहानी हुआ करती थी। गोहाण्‍ड, मुस्कुरा एवं सरीला ब्लॉक के गांव भी इसी बदहाली से जूझ रहे थे।

ऐसे में वर्ष 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की महत्‍वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन की घोषणा हुई और उसका लाभ उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने गांव-गांव तक पहुंचाने का संकल्‍प लिया। खासकर बुंदेलखंड और विंध्‍य के नौ जिलों को सबसे पहले इस योजना का लाभ देने के लिए चुना गया।

यही वो समय था जब बदलाव की चली बयार हमीरपुर के लोगों के लिए उम्मीदों में बदली गई। नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के निरंतर योजनाओं के निरीक्षण और योजनाओं को तेजी से पूरा कराए जाने पर दिये जा रहे जोर का ही परिणाम है कि सूखाग्रस्‍त कहलाने वाले हमीरपुर जिले के गांवों में घर-घर तक पेजयल पहुंचने के रास्‍ते खुल गए हैं।

गांव के लोगों को यहां बनाई गई परियोजनाओं में पम्‍प ऑपरेटर, मोटर मैकेनिक, फि‍टर, इलेक्‍ट्रीशियन और मेसन के रूप में राजगार भी मिलने लगा है।

40 किमी तक नहीं कोई नदी

ग्रामीण बताते हैं कि खासकर हमीरपुर में ऐसे कई गांव है जिनके 40 किमी के दायरे में कोई नदी नहीं है। इसी समस्‍या से जूझने वाले लोगों के लिए टयूबवेल संचालित सोलर बेस भूजल परियोजनाओं को शुरू किया गया। राठ ब्‍लाक के उमनिया ग्राम पंचायत में सोलर से संचालित 50 हजार लीटर की एक पानी की टंकी बनाई गई।

यहां सोलर से संचालित मोटर से 250 लीटर प्रति मिनट पानी की टंकी भरी जाती है। इस टंकी से दो राजस्‍व गांवों उमनिया और चुरवा गांव तक पाइपलाइन का जाल बिछाकर नल कनेक्‍शन दिये गये।

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इसी तरह के प्रयास अन्य गांव में भी किये गये। योजना पर लगाए गये सोलर प्‍लांट के माध्‍यम से दोपहर में साढ़े छह घंटे मिलने वाली सौर उर्जा से सुबह और शाम पानी की सप्‍लाई देना शुरू किया गया। यहां सरकारी स्‍कूल में भी स्‍टैण्‍ड पोस्‍ट बनाए गये। जिससे स्‍कूल में पढ़ने वाले बच्‍चों को भी स्‍वच्‍छ पेयजल मिलने लगा।

इकबाल मोहम्मद के बटन ऑन करने के साथ कई गांव के लिये शुरू हो जाती पानी सप्लाई

उमनिया गांव के निवासी इकबाल मोहम्‍मद को उनके ही गांव में जल जीवन मिशन की परियोजना में रोजगार मिल गया है। मजदूरी करके किसी तरह घर का खर्चा चलाने वाले इकबाल रोजगार मिलने से काफी खुश हैं। इकबाल मोहम्‍मद का काम पम्‍प का संचालन करना है।

सुबह और शाम उनके पानी की टंकी पर लगे बटन को दबाने के साथ ही गांव के घर-घर तक पानी की धार पहुंचना शुरू हो जाती है। कहते हैं कि घर में जल पहुंचने के साथ उनको योजना से रोजगार भी मिल गया है।

मील का पत्थर साबित होने जा रही हर घर जल योजना

प्‍यार खां बताते हैं कि नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की पेयजल परियोजना बुन्देलखंड के समस्याग्रस्त गांवों के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली है। दशकों से पानी की किल्लत झेल रहे लाखों लोगों को राहत मिलने लगी है। कभी मौदहा क्षेत्र के बीहड़ के दर्जनों गांवों में पानी के लिए लोगों में त्राहि-त्राहि मचती थी। अब जल जीवन मिशन की योजना से बड़ा बदलाव आया है

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